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प्रश्न
"तब माँ कोई कर न सकेगा
अपने ऊपर अत्याचार।"
कविता की इस पंक्ति में किस अत्याचार की बात की जा रही है? वे किस तरह के अत्याचार करते थे?
उत्तर
इस पंक्ति में अंग्रेज़ों द्वारा देशवासियों में किए जा रहे अत्याचारों की बात हो रही है। अंग्रेज़ों ने भारत को अपना गुलाम बना लिया था। वे उन पर अनेक प्रकार के अत्याचार कर रहे थे। वे अमानवीयता की सभी हदें पार कर चूके थे। भारत का समस्त धन निचोड़कर अपने देश में भर रहे थे। यदि कोई उनका विरोध करता, तो वे उसे मारा-पीटा करते थे। यहाँ तक की उन्हें आंतकवादी घोषित कर कालापानी के लिए भेज दिया जाता था। यदि इससे भी दिल नहीं भरता था, तो उन्हें सरेआम फांसी पर लटका दिया जाता था। देश की जनता गरीब और गरीब हो रही थी। भारत में लोग एक समय के भोजन के लिए तरस रहे थे। परन्तु अंग्रेज़ों को इससे कोई सरोकार नहीं था। वे भारतीयों के साथ भेदभाव करते थे। उनकी तुलना कुत्ते से किया करते थे। हमें अपने ही देश के कई स्थानों पर आने-जाने से रोका जाता था।
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नमूना → |
वह मोर सा नाचता है। |
लक्की ________की तरह गरजता है।
नीचे लिखी पंक्ति को पढ़कर उत्तर दो।
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क |
देश______ |
घ |
जनता______ |
ख |
धरती______ |
ङ |
त्योहार______ |
ग |
दूध______ |
च |
इंसान______ |
'बहुत दिन हुए / हमें अपने मन के छंद छुए।'- इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? अगले पृष्ठ पर दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए-
(क) बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नहीं आई।
(ख) बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।
(ग) बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।
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शाम के बदले यदि आपको एक कविता सुबह के बारे में लिखनी हो तो किन-किन चीजों की मदद लेकर अपनी कल्पना को व्यक्त करेंगे? नीचे दी गई कविता की पंक्तियों के आधार पर सोचिए
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नीचे लिखी पंक्तियों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखिए-
(क) घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी
(ख) सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा
(ग) पानी का परदा-सामेरे आसपास था हिल रहा
(घ) मँडराता रहता था एक मरियल-सा कुत्ता आसपास
(ङ) दिल है छोटा-सा छोटी-सी आशा
(च) घास पर फुदकती नन्ही-सी चिड़िया
• इन पंक्तियो में सा/सी का प्रयोग व्याकरण की दृष्टि से कैसे शब्दों के साथ हो रहा है?
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