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बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं (आत्म) को पहचानने की बात किन पंक्तियों में कही गई है? उन्हें अपने शब्दों में लिखें। - Hindi (Core)

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प्रश्न

बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं (आत्म) को पहचानने की बात किन पंक्तियों में कही गई है? उन्हें अपने शब्दों में लिखें।

थोडक्यात उत्तर

उत्तर

पंक्तियाँ - ‘आतम मारि पखानहि पूजै, उनमें कछु नहिं ज्ञाना।’
‘साखी सब्दहि गावत भूले, आतम खबरि न जाना।’
कबीर ने उपर्युक्त पंक्तियों में स्वयं (आत्मा) को पहचानने की बात कही है। आत्मा हम सभी के भीतर सजग-सचेत अवस्था है। उसे मारकर बेजान पत्थरों में खोजने की बजाय स्वयं को पहचानना चाहिए। साखियाँ और सबद गाते हुए हमें उसको नहीं भुलाना चाहिए, जो चरम और परम तत्व हमारे भीतर है। सब प्रकार के आडंबरों का त्यागकर स्वयं को पहचानना ही उचित मार्ग है।

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हम तौ एक एक करि जांनां।
  या प्रश्नात किंवा उत्तरात काही त्रुटी आहे का?
पाठ 2.01: हम तौ एक एक करि जांनां।, संतों देखत जग बौराना। - अभ्यास [पृष्ठ १३२]

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एनसीईआरटी Hindi - Aaroh Class 11
पाठ 2.01 हम तौ एक एक करि जांनां।, संतों देखत जग बौराना।
अभ्यास | Q 8. | पृष्ठ १३२

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