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भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाने के लिए नेहरू ने किन तर्कों का इस्तेमाल किया। क्या आपको लगता है कि यह केवल भावनात्मक और नैतिक तर्क हैं अथवा इनमें कोई तर्क युक्तिपरक भी है? - Political Science (राजनीति विज्ञान)

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प्रश्न

भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाने के लिए नेहरू ने किन तर्कों का इस्तेमाल किया। क्या आपको लगता है कि यह केवल भावनात्मक और नैतिक तर्क हैं अथवा इनमें कोई तर्क युक्तिपरक भी है?

थोडक्यात उत्तर

उत्तर

पंडित जवाहरलाल नेहरू एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किए जाने का समर्थन किया और इसके पक्ष में कई तर्क प्रस्तुत किए जो निम्नलिखित हैं -

  1. नेहरू का कहना था कि विभाजन के सिद्धांत में जनसंख्या की अदला - बदली की कोई व्यवस्था नहीं थी पाकिस्तान बनने के बाद भारत के सभी मुसलमानों को भारत से निकाल दिया जाएगा। पंजाब और बंगाल के प्रांतों में ही मुख्य रूप से अदला - बदली हुई जो परिस्थितियों का परिणाम तथा आकस्मिक थीं।
  2. भारत के दूसरे प्रांतों से जो भी मुसलमान पाकिस्तान गए वे स्वेच्छा से गए, किसी सरकारी आदेश के अंतर्गत नहीं।
  3. पाकिस्तान बनने और जनसंख्या की अदला बदली के याद भी भारत में मुसलमानों की संख्या इतनी है जिन्हे भारत से निकाला जाना संभव नहीं 1951 की जनगणना के अनुसार मुसलमानों की संख्या कुल जनसंख्या का लगभग 12 प्रतिशत था।
  4. भारत में मुसलमानों के अतिरिक्त और भी अल्पसंख्यक धार्मिक वर्ग हैं जैसे कि सिक्ख , ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी, यहूदी मुसलमान सबसे बड़ा अल्पसंख्यक धार्मिक समुदाय था इसके होते हुए भारत को हिंदू राष्ट्र और राज्य घोषित किया जाना न उचित है और न ही न्याय संगत।
  5. यदि भारत को हिंदू राज्य घोषित किया जाएगा तो यह एक नासूर बन जाएगा और वह सारी सामाजिक व राजनीतिक व्यवस्था को विषैल बनाएगा तथा इसकी बर्बादी का कारण बन सकता है।
  6. भारतीय संस्कृति सभी धर्मों की विशेषताओं का मिश्रण है भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने से भारतीय संस्कृति का संयुक्त स्वरूप कुप्रभावीत होगा।
  7. भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने से सभी अल्पसंख्यकों में और असुरक्षा और अलगाव की भावना विकसित होगी जो राष्ट्री एकता, राष्ट्रिय एकीकरण तथा राष्ट्र - निर्माण के रस्ते में घातक होगी और भारत एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभर नहीं सकेगा।
  8. नेहरू जी का यह भी कहना था कि हम अल्पसंख्यकों के साथ वही व्यवहार नहीं करना चाहते और और ना ही कर सकते हैं और जो पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ किया जा रहा है और वहां के अल्पसंख्यकों को असम्मान और भय के वातावरण में जीना पड़ रहा है।
  9. नेहरू का यह भी तर्क था कि हमे लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाना है धर्म तंत्र को नहीं हमें सभी नागरिकों को,बहुसंख्यकों की तरह अल्पसंख्यकों को भी सम्मान समझना है उन्हें समान अधिकार और जीवन विकास की समान सुविधाएं तथा अवसर प्रदान करने हैं अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा की व्यवस्था करनी होगी उनके दिल में भय और और अनिश्चय का भाव दूर करना होगा और सभी नागरिकों की प्रशासन में समान भागीदारी की व्यवस्था करनी होगी।
  10. नेहरू का कहना था कि भारतीय संस्कृति भी इस बात की मांग करती है कि हम अपने अल्पसंख्यकों के साथ सभ्यता और शालीनता के साथ व्यवहार करें।
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नए राष्ट्र की चुनौतियाँ
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पाठ 1: राष्ट्र - निर्माण की चुनौतियाँ - प्रश्नावली [पृष्ठ २५]

APPEARS IN

एनसीईआरटी Political Science [Hindi] Class 12
पाठ 1 राष्ट्र - निर्माण की चुनौतियाँ
प्रश्नावली | Q 6. | पृष्ठ २५

संबंधित प्रश्‍न

भारत का कोई समकालीन राजनीतिक नक्शा दीजिए (जिसमें राजाओं की सीमाएं दिखाई गई हो) और नीचे लिखी रियासतों के स्थान चिन्ह कीजिए -

  1. जूनागढ़
  2. मणिपुर
  3. ग्वालियर
  4. मैसूर

नीचे दो तरह की राय लिखी गई है:

  1. विस्मय - रियासतों को भारतय संघ में मिलाने से इन रियासतों की प्रजा लोकतंत्र का विस्तार हुआ।
  2. इंद्रप्रीत - यह बात मैं दावे के साथ नहीं कह सकता। इसमें बल प्रयोग भी हुआ था जबकि लोकतंत्र में आम सहमति से काम किया जाता है।

देसी रियासतों के विलय और ऊपर के मुहावरे के आलोक में इस घटनाक्रम पर आपकी क्या राय है?


निचे 1947 के अगस्त के कुछ बयान दिए गए हैं जो अपनी प्रकृति में अत्यंत भिन्न हैं।

आज आपने - अपने सर पर कांटों का ताज पहना है। सत्ता का आसन एक बुरी चीज है। इस आसन पर आपको बड़ा सचेत रहना होगा.... आपको और ज़्यादा विनम्र और धौर्यवान बनना होगा.... अब लगातार आपकी परीक्षा ली जाएगी।

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रामचंद्र गुहा

  1. यहाँ लेखक ने भारत और सोवियत संघ के बीच जिन समानताओं का उल्लेख किया है, उसकी एक सूचि बनाइए। इनमे से प्रत्येक के लिए एक उदाहरण दीजिए।
  2. लेखक ने यहां भारत और सोवियत संघ में चली राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया ओ के बीच की और समानता का उल्लेख नहीं किया है क्या आप दो और समानताएं बता सकते हैं?
  3. अगर पीछे मुड़कर देखें तो आप क्या पाते हैं राष्ट्र निर्माण के इन दो प्रयोगों में किसने बेहतर काम किया है और क्यों?

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