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बुद्धि लब्धि क्या है? किस प्रकार मनोवैज्ञानिक बुद्धि लब्धि प्राप्तांको के आधार पर लोगो को वर्गीकृत करते है - Psychology (मनोविज्ञान)

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प्रश्न

बुद्धि लब्धि क्या है? किस प्रकार मनोवैज्ञानिक बुद्धि लब्धि प्राप्तांको के आधार पर लोगो को वर्गीकृत करते है?

थोडक्यात उत्तर

उत्तर

१९१२ में एक जर्मन मनोवैज्ञानिक विलियम स्टर्न ने बुद्धि लब्धि संप्रत्यय विकसित किया किसी व्यक्ति की मानसिक आयु को उसकी कालानुक्रमिक आयु से भाग देने के बाद उसका १०० से गुणा करने से उसकी बुद्धि लब्धि प्राप्त हो जाती है

बुद्धि लब्धि = मानसिक आयु + कालानुक्रमिक आयु x १००

गुणा करने में १०० की संख्या का उपयोग दशमलव बिंदु समाप्त करने के लिए लिए किया जाता है यदि किसी व्यक्ति की मानसिक आयु तथा कालानुक्रमिक आयु बराबर हो तो उसकी बुद्धि लब्धि १०० प्राप्त होती है यदि मानसिक आयु कालानुक्रमिक आयु से अधिक हो तो बुद्धि लब्धि १०० से अधिक प्राप्त होती है बुद्धि लब्धि १०० से कम उस दशा में प्राप्त होती है जब मानसिक आयु कालानुक्रमिक आयु से कम हो

किसी जनसंख्या की बुद्धि लब्धि प्राप्तांक का माध्यम होता है जिन व्यक्तियों की बुद्धि लब्धि प्राप्तांक ९० से ११० के बिच होती है उन्हें सामान्य बुद्धि वाला कहा जाता है जिनकी बुद्धि लब्धि ७० से भी कम होती है वे बैद्धिक आसक्तता से प्रभावित समझे जाते है और जिनका बुद्धि १३० से अधिक होती है वे असधारण रूप से प्रभावसाली समझे जाते है सभी व्यक्तियों की बुद्धि क्षमता एक सामान नहीं होती है कुछ व्यक्ति का असाधारण रूप से तीव्र बुद्धि वाले होते है तथा कुछ औसत से काम बुद्धि वाले

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मनोवैज्ञानिक गुणों का मूल्यांकन
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पाठ 1: मनोवैज्ञानिक गुणों में विभिन्नताएँ - समीक्षात्मक प्रश्न [पृष्ठ २३]

APPEARS IN

एनसीईआरटी Psychology [Hindi] Class 12
पाठ 1 मनोवैज्ञानिक गुणों में विभिन्नताएँ
समीक्षात्मक प्रश्न | Q 7. | पृष्ठ २३
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