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प्रश्न
जल के स्वतः प्रोटोनीकरण से आप क्या समझते हैं? इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर
जल का स्वतः प्रोटोनीकरण वास्तव में इसका स्वत: आयनन है जो निम्न प्रकार से संपन्न होता है-
\[\ce{\underset{\text{Acid-1 (acid)}}{H2O(l)} + \underset{\text{Base-2 (base)}}{H2O(l)} -> \underset{\text{Acid-2 (conjugate acid)}}{H3O+(aq)} + \underset{\text{Base-1 (conjugate base)}}{OH-(aq)}}\]
जल का स्वत: प्रोटोनीकरण जल को उभयधर्मी (amphoteric) बनाता है। इसलिए, जल अम्ल और क्षार दोनों की तरह क्रिया करता है।
जल अपने से प्रबल अम्ल के साथ अभिक्रिया करने पर क्षार की तरह व्यवहार करता है और अपने से प्रबल क्षार से अभिक्रिया करने पर अम्ल की तरह व्यवहार करता है। जैसे-
\[\ce{\underset{\text{Acid}}{H2O(l)} + \underset{\text{Base}}{NH3(aq)} <=> NH^+_4(aq) + OH-(aq)}\]
\[\ce{\underset{\text{Base}}{H2O(l)} + \underset{\text{Acid}}{H2S(aq)} <=> H3O+(aq) + HS-(aq)}\]
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