मराठी

पाठमाधृत्य बाणभट्टस्य गद्यशैल्याः विशेषताः लिखत – - Sanskrit (Core)

Advertisements
Advertisements

प्रश्न

पाठमाधृत्य बाणभट्टस्य गद्यशैल्याः विशेषताः लिखत –

दीर्घउत्तर

उत्तर

बाण की गद्यशैली की विशेषताएँ बाण के गद्य में सामान्यतः लम्बे समासों की भरमार रहती है। कहीं-कहीं छोटे-छोटे समास तथा समासों का अभाव भी मिलता है। वास्तव में बाण के समय में समासबहुलता गद्यकाव्यों में आवश्यक मानी जाती थी, कहा भी गया है – “ओजः समासभूयस्वमेतत गद्यस्य जीवितम्।”

बाण प्रसंग का पूरा ध्यान रखते हैं। प्रसंगानुसार वे समासबहुल या समासहीन भाषा का प्रयोग करते हैं। बाण पाञ्चाली गद्यशैली के अनुयायी हैं। वे अर्थ के अनुरूप शब्दों की योजना करते हैं। सरस प्रसंगों में कोमल कान्त पदावली का प्रयोग करते हैं तथा विन्द्र याटवी, शबर सेनापति आदि की भीषणता का चित्रण करने में कठोर वर्गों की योजना भी उनके द्वारा की गई है।

बाण का शब्दकोष अक्षय है। एक ही बात को अनेक रूपों मे तथा नए-नए शब्दों द्वारा अभिव्यक्त करने में वे पूर्ण दक्ष हैं। अलंकारों के सुन्दर प्रयोग से बाण की गद्य शैली विशेष आकर्षक हो गई है किन्तु इनकी गद्यशैली की तीखी आलोचना भी की गई है क्योंकि इनके काव्यों में असंख्य विशेषणों से लदे हुए तथा जटिल समस्त पदावली से भरपूर लम्बे-लम्बे वाक्यों के प्रयोग से पाठक बहुधा झुंझला उठते हैं।

shaalaa.com
शुकशावकोदन्त:
  या प्रश्नात किंवा उत्तरात काही त्रुटी आहे का?
पाठ 6: शुकशावकोदन्तः - अभ्यासः [पृष्ठ ३७]

APPEARS IN

एनसीईआरटी Sanskrit - Bhaswati Class 11
पाठ 6 शुकशावकोदन्तः
अभ्यासः | Q 2 | पृष्ठ ३७

संबंधित प्रश्‍न

अस्मिन् पाठे महात्मनः तुलना केन सह कृता?


सत्याग्रहाश्रमः इति नाम केन कथं च दत्तम्?


अस्य पाठस्य रचयित्री का?


पम्पाभिधानं पद्मसरः कुत्रासीत्?


शुकः क्व निवसति स्म?


 शबराणां कीदृशं जीवनं वर्तते?


हारीतः कस्य सुतः आसीत्?


 जीवनाशा किं करोति?


शुकस्य पिता कीदृशानि फलशकलानि तस्मै अदात्?


 मृगयाध्वनिमाकर्ण्य शुकः कुत्र अविशत्?


शबरसेनापतिः कस्मिन् वयसि वर्तमानः आसीत्?


कः शुकस्य तातम् अपगतासुमकरोत्?


मातृभाषया शबरसेनापते: चरित्रम् लिखत –


अधोलिखितानां भावार्थ लिखत –

किमिव हि दुष्करमकरुणानाम्।


अधोलिखितानां भावार्थ लिखत –

नास्ति जीवितादन्यदभिमततरमिह जगति सर्वजन्तूनाम्।


अधोलिखितानां भावार्थ लिखत –

प्रायेण अकारणमित्राण्यतिकरुणाणि च भवन्ति सतां चेतांसि।।


शुकशावकस्य आत्मकथां संक्षेपेण लिखत –


अधोलिखितेषु शब्देषु प्रकृतिप्रत्ययविभागं कुरुत –

समाहृत्य 


अधोलिखितेषु शब्देषु प्रकृतिप्रत्ययविभागं कुरुत –

आकर्ण्य 


अधोलिखितेषु शब्देषु प्रकृतिप्रत्ययविभागं कुरुत –

गृहीत्वा 


अधोलिखितेषु शब्देषु प्रकृतिप्रत्ययविभागं कुरुत –

अभिलाषः


अधोलिखितेषु शब्देषु प्रकृतिप्रत्ययविभागं कुरुत –

संचरमाणः


अस्ति भुवो मेखलेव ______ नाम।


ममैव जायमानस्य ______ में जननी मृता।


अहो मोहप्रायम् ______ जीवितम्।


 तातः ______ मद्रक्षणे आकुलः अभवत्।


 सर्वथा न ______ न खलीकरोति जीवनाशा।


सन्धिविच्छेदं कुरुत –

तस्यैवैकस्मिन्


सन्धिविच्छेदं कुरुत –

तातस्तु 


सन्धिविच्छेदं कुरुत –

प्रत्यूषसि 


सन्धिविच्छेदं कुरुत –

अचिराच्च


सन्धिविच्छेदं कुरुत –

चिन्तयत्येव


सन्धिविच्छेदं कुरुत –

फलानीव


सन्धिविच्छेदं कुरुत –

तेनैव 


सन्धिविच्छेदं कुरुत –

चादाय


Share
Notifications

Englishहिंदीमराठी


      Forgot password?
Use app×