Advertisements
Advertisements
Question
+3 ऑक्सीकरण अवस्था में ऑक्सीकृत होने के संदर्भ में Mn2+ के यौगिक Fe2+ के यौगिकों की तुलना में अधिक स्थायी क्यों हैं?
Solution
Mn2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar]18 3d5 है, जबकि Fe2+ का [Ar] 3d6 है। चूँकि Mn2+ में अर्द्ध-पूर्ण कक्ष (3d5) होती है, जो कि Fe2+ की 3d6 कक्ष से अधिक स्थायी है, इसलिए Mn2+ यौगिक सरलता से Mn3+ में ऑक्सीकृत नहीं होते हैं क्योंकि इनकी द्वितीय आयनन एन्थैल्पी बहुत अधिक होती है। इसके विपरीत, Fe2+ यौगिक कम द्वितीय आयनन एन्थैल्पी के कारण Fe3+ में सरलता से ऑक्सीकृत हो जाता है। यही कारण है कि Mn2+ यौगिक अपनी +3 अवस्था के लिए ऑक्सीकरण के प्रति Fe2+ से अधिक स्थायी होते हैं।
APPEARS IN
RELATED QUESTIONS
संक्रमण तत्वों की प्रथम श्रेणी में आयनन एन्थैल्पी (प्रथम और द्वितीय) में अनियमित परिवर्तन को आप कैसे समझाएँगे?
कोई धातु अपनी उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था केवल ऑक्साइड अथवा फ्लुओराइड में ही क्यों प्रदर्शित करती है?
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास किस सीमा तक ऑक्सीकरण अवस्थाओं को निर्धारित करते हैं? उत्तर को उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।
संक्रमण धातुओं के अभिलक्षण क्या हैं? ये संक्रमण धातु क्यों कहलाती हैं?
कारण देते हुए स्पष्ट कीजिए।
संक्रमण धातुओं की कणन एन्थैल्पी के मान उच्च होते हैं।
संक्रमण धातुओं की ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तनशीलता असंक्रमण धातुओं में ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तनशीलता से किस प्रकार भिन्न है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
हुंड-नियम के आधार पर Ce3+ आयन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को व्युत्पन्न कीजिए तथा ‘प्रचक्रण मात्र सूत्र’ के आधार पर इसके चुंबकीय आघूर्ण की गणना कीजिए।
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्व भारी संक्रमण तत्वों के अनेक गुणों से भिन्नता प्रदर्शित करते हैं। टिप्पणी कीजिए।
निम्नलिखित संकुल स्पीशीज़ के चुंबकीय आघूर्णो के मान से आप क्या निष्कर्ष निकालेंगे?
उदाहरण | चुंबकीय आघूर्ण (BM) |
K2[MnCl4] | 5.9 |
अंतराकाशी यौगिक संक्रमण धातुओं के लिए भली प्रकार से ज्ञात क्यों हैं?