Advertisements
Advertisements
Question
जम्मू - कश्मीर की अंदरूनी विभिन्नताओं की व्याख्या कीजिए और बताइए की इन विभिन्नताओं के कारण इस राज्य में किस तरह अनेक क्षेत्रीय आकांक्षाओं ने सर उठाया है।
Answer in Brief
Solution
- जम्मू - कश्मीर की अंदरूनी विभिन्नताएँ - जम्मू एवं कश्मीर में तीन राजनितिक एवं सामाजिक क्षेत्र शामिल हैं - जम्मू, कश्मीर और लद्दाख। कश्मीर घाटी को कश्मीर के दिल के रूप में देखा जाता है। कश्मीर बोली बोलने वाले ज्यादातर लोग मुस्लिम है। बहरहाल, कश्मीरी भाषी लोगों में अल्पंसख्यक हिन्दू भी शामिल हैं। जम्मू क्षेत्र पहाड़ी तलहटी एवं मैदानी इलाके का मिश्रण है, जहाँ हिन्दू, मुस्लिम और सिख यानी कई धर्म और भाषाओ के लोग रहते हैं। लद्दाख पर्वतीय इलाका है, जहाँ बौद्ध एम मुस्लिमों की आबादी है, लेकिन यह आबादी बहुत कम है।
- मुद्दे का स्वरूप - 'कश्मीर मुद्दा' भारत और पाकिस्तान के बिच सिर्फ विवाद भर नहीं है। इस मुद्दे के कुछ बाहरी तो कुछ भीतरी पहलू हैं। इसमें कश्मीरी पहचान का सवाल जिसे कश्मीरियत के रूप में जाना जाता हैं, शामिल हैं। इसके साथ ही साथ जम्मू - कश्मीर की राजनितिक स्वायत्तता का मसला भी इसी से जुड़ा हुआ है।
- अनेक आकांक्षाओं का सिर उठाना:
(क) धर्मनिरपेक्ष राज्य बनाने की शेख अब्दुल्ला की आकांक्षा - 1947 से पहले जम्मू एवं कश्मीर में राजशाही थी। इसके हिन्दू शासक हरी सिंह भारत में शामिल होना नहीं चाहते थे और उन्होंने अपने स्वतंत्र राज्य के लिए भारत और पाकिस्तान के साथ समझौता करने की कोशिश की। पाकिस्तानी नेता सोचते थे की कश्मीर, पाकिस्तान के संबंद्ध है, क्योंकि राज्य की ज्यादातर आबादी मुस्लिम है। बहरहाल यहाँ के लोग स्थिति को अलग नजरिए से देखते थे। वे अपने को कश्मीरी सबसे पहले, कुछ और बाद में मानते थे। राज्य में नेशनल कांफ्रेंस के शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में जन - आंदोलन चला। शेख अब्दुल्ला चाहते थे की महाराजा पद छोड़ें, लेकिन वे पाकिस्तान में शामिल होने के खिलाफ थे। नेशनल कांफ्रेंस एक धर्मनिरपेक्ष संगठन था और की महाराजा पद छोड़ें, लेकिन वे पाकिस्तान में शामिल होने के खिलाफ थे। नेशनल कांफ्रेंस एक धर्मनिरपेक्ष संगठन था और इसका कांग्रेस के साथ काफी दिनों तक गठबंधन रहा।
(ख) - जम्मू - कश्मीर के आक्रमणकारियों से प्रतिरक्षा कराने की आकांक्षा, चुनाव और लोकतंत्र स्थपना की आकांक्षा: अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान ने कबायली घुसपैठियों को अपनी तरफ से कश्मीर पर कब्जा करने भेजा। ऐसे में महाराजा भारतीय सेना से मदद मांगने को मजबूर हुए। भारत ने सैन्य मदद उपलब्ध कराई और कश्मीर घाटी से घुसपैठियों को खदेड़ा। इससे पहले भारत सरकार ने महाराजा से भारत संघ में विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करा लिए। इस पर सहमति जताई गई की स्थिति सामान्य होने पर जम्मू - कश्मीर की नियति का फैसला जनमत सर्वेक्षण के द्वारा होगा। मार्च 1948 में शेख अब्दुल्ला जम्मू - कश्मीर राज्य के प्रधानमंत्री बने (राज्य के मुखिया को तब प्रधानमंत्री कहा जाता था।) भारत, जम्मू एवं कश्मीर की स्वायत्तता को बनाए रखने पर सहमत हो गया। इसे संविधान में धारा 370 का प्रावधान करके संवैधानिक दर्जा दिया गया।
shaalaa.com
जम्मू एवं कश्मीर
Is there an error in this question or solution?