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कश्मीर की क्षेत्रीय स्वायत्तात के मसले पर विभिन्न पक्ष क्या हैं? इनमें कौन - सा पक्ष आपको समुचित जान पड़ता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए। - Political Science (राजनीति विज्ञान)

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Question

कश्मीर की क्षेत्रीय स्वायत्तात के मसले पर विभिन्न पक्ष क्या हैं? इनमें कौन - सा पक्ष आपको समुचित जान पड़ता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।

Long Answer

Solution

कश्मीर की क्षेत्रीय स्वायत्तता के समले पर विभिन्न पक्ष - जम्मू - कश्मीर राज्य अधिक स्वायत्तता की मांग के भी दो पहलू है। पहला यह की समस्त राज्य को केंद्र के अत्यधिक नियंत्रण से मुक्ति मिले और उसे अपने आंतरिक मामलों में अधिक से - अधिक का आजादी मिले और वह अपने निर्णय बिना केंद्रीय हस्तक्षेप के कर सके तथा उन्हें लागू कर सके। धारा 370 को पूरी तरह लागू किया जाए। स्वायत्तता के संबंध में एक दृष्टिकोण और भी है और वह जम्मू - कश्मीर की आंतरिक स्वायत्तता से संबंधित है। जम्मू - कश्मीर के अंदर भी विभिन्न आधारों पर क्षेत्रीय विभिन्नताएं हैं और इसके तीन क्षेत्र अपनी अलग - अलग पहचान रखते हैं। कश्मीर घाटी, जम्मू तथा लद्दाख के क्षेत्र। जम्मू तथा लद्दाख के लोगों का आरोप है की जम्मू - कश्मीर सरकार ने सदा ही उनके हितों की अनदेशी की है और ध्यान कश्मीर घाटी के विकास की ओर लगाया है तथा इन दोनों क्षेत्रों का कुछ भी विकास नहीं हुआ है। अतः इन क्षेत्रों को भी जम्मू - कश्मीर की सरकार के नियंत्रण से मुक्त मिलनी चाहिए और उन्हें आंतरिक स्वायत्तता प्रदान की जानी चाहिए। इसी मांग के संदर्भ में लद्दाख स्वायत परिषद की स्थपना की गई थी। आजादी के बाद से ही जम्मू एवं कश्मीर राजनिति हमेशा विवादग्रत एवं संर्घयुक्त रही। इसके बहरी एवं आंतरिक दोनों करण है। कश्मीर समस्या का एक कारण पाकिस्तान रवैया है। उसने हमेशा यह दावा किया है की कश्मीर घाटी पाकिस्तान का हिस्सा होना चाहिए। जैसे की आप पढ़ चुके है की 1947 में इस राज्य में पाकिस्तान ने कबायली हमला करवाया। इसके परिणाम स्वरूप राज्य का एक हिस्सा पाकिस्तानी नियंत्रण में आ गया। भारत ने दावा किया की यह क्षेत्र का अवैध अधिग्रहण है। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र को आज़ाद कश्मीर कहा। 1947 के बाद कश्मीर लेकर विवाद रहा है। आप जानते हैं की कश्मीर को संविधान में धारा 370 के तहत विशेष दर्जा दिया गया है। धारा 370 एवं 371 के तहत किए गए विशेष प्रावधानों के बारे में आपने पहले ही पढ़ा होगा धारा 370 के तहत जम्मू एवं कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा स्वायत्तता दी गई है। राज्य का अपना संविधान है। भारतीय संविधान की सारी व्यवस्थाएँ इस राज्य में लागू नहीं होती। संसद द्वारा पारित कानून राज्य में उसकी सहमति के बाद ही लागू हो सकते हैं।

इस विशेष स्थिति से दो विरोधी प्रतिक्रियाएँ सामने आई। लोगों का एक समूह मानता है की इस राज्य को धारा 370 के तहत प्राप्त विशेष दर्जा देने से यह भारत के साथ पूरी तरह ही होना चाहिए। दूसरा वर्ग (इसमें ज्यादातर कश्मीरी हैं) विश्वास करता है की इतनी भर स्वायत्तता पर्याप्त नहीं है। कश्मीरियों के एक वर्ग ने तीन प्रमुख शिकायतें उठायी हैं। पहला संघ में विलय के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराया जायेगा। इसे पूरा नहीं किया गया। दूसरा, धरा 370 के तहत दिया गया विशेष दर्जा पूरी तरह से अम्ल में नहीं लाया गया। इससे स्वायत्तता की बहाली अथवा राज्य को ज्यादा स्वायत्तता देने की मांग उठी।

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जम्मू एवं कश्मीर
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Chapter 8: क्षेत्रीय आकांक्षाएँ - प्रश्नावली [Page 170]

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NCERT Political Science [Hindi] Class 12
Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ
प्रश्नावली | Q 6. | Page 170
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