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“जनजातियाँ आदिम समुदाय हैं जो सभ्यता से अछूते रहकर अपना अलग-थलग जीवन व्यतीत करते हैं, इस दृष्टिकोण के विपक्ष में आप क्या साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहेंगे? - Sociology (समाजशास्त्र)

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Question

“जनजातियाँ आदिम समुदाय हैं जो सभ्यता से अछूते रहकर अपना अलग-थलग जीवन व्यतीत करते हैं, इस दृष्टिकोण के विपक्ष में आप क्या साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहेंगे?

Long Answer

Solution

यह मानने का कोई कारण नहीं है कि जनजातियाँ विश्व के शेष हिस्सों से कटी रही हैं तथा सदा से समाज का एक दबा-कुचला हिस्सा रही हैं। इस कथन के पीछे निम्नलिखित कारण दिए जा सकते हैं-

  1. मध्य भारत में अनेक गोंड राज्य रहे हैं; जैसे – गढ़ मांडला या चाँद।
  2. मध्यवर्ती तथा पश्चिमी भारत के तथाकथित राजपूत राज्यों में से अनेक रजवाड़े वास्तव में स्वयं आदिवासी समुदायों में स्तरीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से ही उत्पन्न हुए।
  3. आदिवासी लोग अकसर अपनी आक्रामकता तथा स्थानीय लड़ाकू दलों से मिलीभगत के कारण मैदानी इलाकों के लोगों पर अपना प्रभुत्व कायम करते हैं।
  4. इसके अतिरिक्त कुछ विशेष प्रकार के व्यापार पर भी उनका अधिकार था; जैसे- वन्य उत्पाद, नमक और हाथियों का विक्रय।

जनजातियों को एक आदिम समुदाय के रूप में प्रमाणित करने वाले तथ्य-

  1. सामान्य लोगों की तरह जनजातियों का कोई अपना राज्य अथवा राजनीतिक पद्धति नहीं है।
  2. उनके समाज में कोई लिखित धार्मिक कानून भी नहीं है।
  3. न तो वे हिंदू हैं न ही खेतिहर।
  4. प्रारंभिक रूप से वे खाद्य संग्रहण, मछली पकड़ने, शिकार, कृषि इत्यादि गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं।
  5. जनजातियों का निवास घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में होता है।
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जनजातीय समुदाय
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Chapter 3: सामाजिक संस्थाएँ : निरंतरता एवं परिवर्तन - प्रश्नावली [Page 63]

APPEARS IN

NCERT Sociology [Hindi] Class 12
Chapter 3 सामाजिक संस्थाएँ : निरंतरता एवं परिवर्तन
प्रश्नावली | Q 6. | Page 63
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