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Question
‘कर्म ही पूजा है’, विषय पर अपने विचार सौ शब्दों में लिखो।
Solution
हर व्यक्ति की उसके परिवार, समाज व देश के प्रति कुछ जिम्मेदारियाँ व कर्तव्य होते हैं। इन कर्तव्यों का पालन करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्म व धर्म है। हमारे धार्मिक ग्रथों में भी धार्मिक गतिविधियों से अधिक कर्म को प्रधानता दी गई है। कर्म को योग अर्थात पूजा का एक उत्तम प्रकार माना गया है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपने कर्तव्यों से मुख मोड़कर ईश्वर की पूजा-पाठ में लीन हो जाता है, उसे ईश्वर भी स्वीकार नहीं करते हैं। गीता में स्वयं श्रीकृष्ण ने कर्म की महानता का बखान किया है। वास्तविकता यही है कि यदि हर व्यक्ति अपने-अपने कर्म को पूरी निष्ठा व ईमानदारी से करता है, तो वह किसी भी पूजा से बढ़कर है। जैसे शिक्षक, किसान, चिकित्सक, कलाकार आदि अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से करते हैं, तो उनके द्वारा किया गया कर्म ही पूजा कहलाता है।
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अपने चित्र के बारे में बोलो।
चित्र पहचानकर उनके नाम लिखो:
____________
निम्नलिखित चित्रों के नाम बताओ और जानकारी लिखो।
१ से १०० तक की संख्याओं का मुखर वाचन करो।
Write a composition in approximately 400 words in Hindi of the topic given below:
नीचे दिए गए विषय पर हिन्दी में निबन्ध लिखिए जो लगभग 400 शब्दों से कम न हो।
कल्पना कीजिए कि आप सीमा पर तैनात एक सिपाही हैं। परिवार तथा देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का पालन करते हुए आप कैसा महसूस करते हैं? आप अपने परिवार तथा देशवासियों से किस प्रकार के सहयोग की अपेक्षा करते हैं? समझाकर लिखिए।