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खगोलीय दूरदर्शी का कार्यप्रकाश के अपवर्तन से कैसे स्पष्ट करोगे? - Science and Technology 1 [विज्ञान और प्रौद्योगिकी १]

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Question

खगोलीय दूरदर्शी का कार्यप्रकाश के अपवर्तन से कैसे स्पष्ट करोगे?

Answer in Brief

Solution

अपवर्तनी (खगोलीय) दूरदर्शी

F0 : वस्तु लेंस की मुख्य नाभि,   

Fe : नेत्र लेंस की मुख्य नाभि,

f0 : वस्तु लेंस का नाभ्यंतर,

fe : नेत्र लेंस का नाभ्यंतर 

  1. सरल अपवर्तन दूरदर्शी की रचना :
    (१) सरल अपवर्तन दूरदर्शी में दो उत्तल लेंस होते है। जो उत्तल लेंस वस्तु की ओर होता है उसे वस्तुलेंस तथा प्रेक्षक की आँख की ओर स्थित लेंस को नेत्रलेंस कहते हैं। वस्तुलेंस का नाभ्यांतर एवं व्यास नेत्रलेंस के नाभ्यांतर एवं व्यास के क्रमशः अधिक होते हैं।
    (२) वस्तुलेंस धातु की एक नली के एक सिरे पर लगा होता है। इसी नली के अंदर तथा एक ओर कम व्यासवाली धातु की एक दूसरी नली भी लगी होती है जिसके बाहरी सिरे पर नेत्रलेंस लगा होता है। नेत्रलेसवाली धातु की नली को एक पेच (स्क्रू) की सहायता से वस्तुलेंसवाली बड़ी नली के अंदर आगे पीछे सरकाया जा सकता है। इससे वस्तुलेंस तथा नेत्रलेंस के बीच की दूरी को बदला जा सकता है। वस्तुलेंस तथा नेत्रलेंस के मुख्य अक्ष एकरेखीय होते हैं। दूरदर्शी प्रायः किसी स्टैण्ड पर लगा होता है | 
  2. खगोलीय दूरदर्शी का कर्मकरण :
    (१) जब वस्तुलेंस को दूरस्थ प्रेक्ष्य वस्तु की ओर रखते है, तब उस दूरस्थ वस्तु से आने वाली प्रकाश की किरणें, जो कि परस्पर लगभग समांतर ही होती है, वस्तुलेंस में से गुजरती है। वस्तुलेंस बड़े आकार तथा अधिक नाभ्यंतरवाले होते हैं, जिस कारण दूर की वस्तु से आनेवाला प्रकाश अधिक मात्रा में एकत्रित होता है। इससे दूरस्थ वस्तु का एक बहुत ही छोटा, वास्तविक एवं उल्टा प्रतिबिंब बनता है, जो वस्तुलेंस के नाभीय प्रतल में स्थित होता है।
    (२) अब पेच (स्क्रू) की सहायता से नेत्रलेंस को खिसकाकर ऐसी स्थिति में लाते हैं कि प्रतिबिंब नेत्रलेंस की मुख्य नाभि के अंदर आ जाए। नेत्रलेंस के लिए प्रतिबिंब एक वस्तु का कार्य करता है तथा स्वयं यह नेत्रलेंस एक सरल सूक्ष्मदर्शी की भाँति कार्य करता है। इस लेंस द्वारा एक अंतिम प्रतिबिंब बनता है जो पर्याप्त अभिवर्धित और काल्पनिक होता है परंतु मूल वस्तु के सापेक्ष उल्टा होता है। आँख को नेत्रलेंस के समीप रखकर इस अंतिम प्रतिबिंब को स्पष्ट रूप में देखा जा सकता है। परिणामस्वरूप दूर की वस्तुओं के भागों का निरीक्षण करना संभव होता है। 
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अपवर्तित किरणाें का आरेखन
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Chapter 7: लेंस और उनके उपयोग - स्वाध्याय [Page 92]

APPEARS IN

Balbharati Science and Technology 1 [Hindi] 10 Standard SSC Maharashtra State Board
Chapter 7 लेंस और उनके उपयोग
स्वाध्याय | Q 5. | Page 92
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