English

निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दें: - Political Science (राजनीति विज्ञान)

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Question

निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दें:

आज़ादी के बाद के आरंभिक वर्षों में कांग्रेस पार्टी के भीतर दो परस्पर विरोधी प्रवृत्तियाँ पनपीं। एक तरफ राष्ट्रिय पार्टी कार्यकारिणी ने राज्य के स्वामित्व का समाजवादी सिद्धांत अपनाया, उत्पादकता को बढ़ाने के साथ - साथ आर्थिक संसोधनों के संकेंद्रिण को रोकने के लिए अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों का नियंत्रण और नियमन किया। दूसरी तरफ कांग्रेस की राष्ट्रीय सरकार ने निजी निवेश के लिए उदार आर्थिक नीतियाँ अपनाई और उसके बढ़ावे के लिए विशेष कदम उठाए। इसे उत्पादन में अधिकतम वृद्धि की अकेली कसौटी पर जायज़ ठहराया गया।

- फ्रैंकिन फ्रैंकल

  1. यहॉँ लेखक किस अंतर्विरोघ की चर्चा कर रहा है? ऐसे अंतर्विरोघ के राजनितिक परिणाम क्या होंगे?
  2. अगर लेखक की बात सही है तो फिर बताएँ की कांग्रेस इस निति पर क्यों चल रही थीं? क्या इसका संबंध विपक्षी दलों की प्रकृति से था?
  3. क्या कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और उसके प्रांतीय नेताओं के बीच भी कोई अंतर्विरोघ था?
Answer in Brief

Solution

  1. दिए गए अनुच्छेद में लेखक द्वारा कांग्रेस में उन दो समूहों की चर्चा की गई है जो क्रमश: वामपंथी विचारधारा से और दूसरा पक्ष दक्षिणपंथी विचारधारा से प्रभावित था। इस प्रकार से अंतर्विरोध के राजनितिक परिणाम देश में टकराव, वामपंथी मोर्चा का गठन, उनके द्वारा हिंसात्मक आंदोलनों को बढ़ावा देना या उन संगठनों को बढ़ावा मिलना जो लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते पूर्णतय तय है। पशिचमी देश विशेषकर पूँजीवादी देश जो उदारवाद, वैश्वीकरण के पक्षधर हैं तथा समाजवाद और कम्युनिस्ट नीतियों के घोर विरोधी राजनीती अपनाएँगे।
  2. लेखक की बात सही है की कॉंग्रेस एक ओर पूँजीवादी विरोधी दलों की निति अपनाकर निजी क्षेत्र को और दूसरी ओर वामपंथी विरोधी दलों की साम्यवादी या समाजवादी नीतियों के अंतर्गत नियोजन, सार्वजनिक क्षेत्र को बढ़ावा देना और राज्य की भूमिका पर बल देने जैसे नीतियाँ नहीं अपना रही थी। इसे कॉंग्रेस द्वारा मिश्रित आर्थिक निति का नाम दिया गया। बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया परन्तु सार्वजनिक क्षेत्र के परिणाम बहुत नहीं रहे।
  3. कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और इसके प्रांतीय नेताओं के बीच खुलकर कोई अंतर्विरोध नहीं था परन्तु यह स्पष्ट था की दबी जुवान में अनेक प्रांतों ने सरकारीकरण का विरोध किया। कई प्रांतों में कांग्रेस के नेताओं ने अपनी पार्टी छिड़कर अलग से अपनी नई पार्टी बना ली। चरणसिंह ने भारतीय क्रांति दल और फिर लोकदल बनाया। मोरारजी देसाई पूँजीवादी नीतियों का खुलेआम समर्थन करते थे। कांग्रेस के कुछ नेताओ ने समाजवादी पार्टी का गठन किया। उड़ीसा में बीजू पटनायक ने उत्कल कांग्रेस का गठन किया। 
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राजनीतिक फ़ैसले और विकास
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Chapter 3: नियोजित विकास की राजनीति - प्रश्नावली [Page 63]

APPEARS IN

NCERT Political Science [Hindi] Class 12
Chapter 3 नियोजित विकास की राजनीति
प्रश्नावली | Q 10. | Page 63
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