Advertisements
Advertisements
Question
निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें:
लगभग सभी नए सामाजिक आंदोलन नयी समस्याओं जैसे - पर्यावरण का विनाश, महिलाओं की बदहाली, आदिवासी संस्कृतिक का नाश और मानवाधिकारों का उल्लंघन के समाधान को रेखांकित करते हुए उभरे। इनमें से कोई भी अपनेआप में समाजव्यवस्था के मूलगामी बदलाव के सवाल से नहीं जुड़ा था। इस अर्थ में ये आंदोलन अतीत की क्रांतिकारी है सामाजिक आंदोलनों का एक बड़ा दायरा ऐसी चीजों की चपेट में है की वह एक ठोस तथा एकजुट जन आंदोलन का रूप नहीं ले पाता और न ही वंचितों और गरीबों के लिए प्रासंगिक हो पाता है। ये आंदोलन बिखरे - बिखरे हैं, प्रतिक्रिया के तत्वों से भरे हैं, अनियत है और बुनियादी सामाजिक बदलाव के लिए इनके पास कोई फ्रेमवर्क नहीं है। 'इस' या 'उस' के विरोध (पशिचमी - विरोधी, पूंजीवादी विरोध, 'विकास - विरोधी, आदि) में चलने के कारण इनमे कोई संगति आती हो अथवा दबे - कुचले लोगों और हाशिए के समुदायों के लिए ये प्रासंगिक हो पाते हों - ऐसी बात नहीं।
- रजनी कोठरी
- नए सामाजिक आंदोलन और क्रांतिकरी विचारधाराओं में क्या अंतर है?
- लेखक के अनुसार सामाजिक आंदोलन की सीमाएँ क्या - क्या हैं?
- यदि सामाजिक आंदोलन विशिष्ट मुद्दों को उठाते हैं तो आप उन्हें 'बिखरा' हुआ कहेंगे या मानेगे की वे अपने मुद्दे पर कही ज़्यादा केंद्रित हैं। अपने उत्तर की पुष्टि में तर्क दीजिए।
Solution
- सामाजिक आंदोलन समाज से जुड़े हुए मामलों अथवा समस्याओं को उठाते हैं जैसे जाति भेदभाव, रंग भेदभाव, लिंग भेदभाव के विरोध में चलए जाने वाले सामाजिक आंदोलन। इसी प्रकार ताड़ी विरोधी आंदोलन और अन्य नशीले पदार्थ पर रोक लागए जाने के पक्ष में आंदोलन।
- सामाजिक आंदोलन की सीमाएँ हैं। ये हैं की जब अतीत की बात करते हैं तो प्रायः नवीन विचारधारों से वे दूर रहते हैं और जब वे नई समस्याएँ उठाते हैं तो परंपराओ से उन्हें या तो समझौता करना पड़ता है या उन्हें रूढिवादियों का शिकार बनना पड़ता है। उनका एक बड़ा दायरा ऐसी बड़ी चपेट में होता है जो ठोस और एकजुटता का आंदोलन ग्रहण नहीं कर पाता।
- यदि सामाजिक आंदोलन विशिष्ट मुद्दों को उठाते हैं तो हम उन्हें बिखरा हुआ कहेंगे अथवा हम यह मानेंगे की वे अपने मुद्दे पर कहीं अधिक केंद्रित हैं।
हम अपने उत्तर की पुष्टि उनके द्वारा किए जा रहे आंदोलन की प्रवृति या स्वरूप को देखकर ही तय कर पाएंगे। जैसे वे समाज में संप्रदायिक सदभाव के विरुद्ध आंदोलन चलाते हैं तो जो लोग धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करते हैं या जो लोग धर्म को केवल व्यक्तिगत मामला मानते हैं, यह गुट और कटटरपंथियों का गुट अलग - अलग हो जाएगा। समाज बिखरा हुआ लगेगा।
APPEARS IN
RELATED QUESTIONS
चिपको आंदोलन के बारे में निम्नलिखित कथन गलत या सही का चिन्ह लगाए।
यह पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए चला एक पर्यावरण आंदोलन था।
चिपको आंदोलन के बारे में निम्नलिखित कथन गलत या सही का चिन्ह लगाए।
इस आंदोलन ने परिस्थितिकी और आर्थिक शोषण के मामले उठए।
चिपको आंदोलन के बारे में निम्नलिखित कथन गलत या सही का चिन्ह लगाए।
यह महिलाओं द्वारा शुरू किया गया शराब - विरोधी आंदोलन था।
चिपको आंदोलन के बारे में निम्नलिखित कथन गलत या सही का चिन्ह लगाए।
इस आंदोलन की माँग थी की स्थानीय निवासियों का अपने प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण होना चाहिए।
नीचे लिखे कथन गलत हैं। इनकी पहचान करें और ज़रूरी सुधार के साथ उन्हें बुरुस्त करके दोबारा लिखें:
सामाजिक आंदोलन भारत के लोकतंत्र को हानि पहुँचा रहे हैं।
नीचे लिखे कथन गलत हैं। इनकी पहचान करें और ज़रूरी सुधार के साथ उन्हें बुरुस्त करके दोबारा लिखें:
सामाजिक आंदोलनों की मुख्य ताकत विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच व्याप्त उनका जनधार है।
नीचे लिखे कथन गलत हैं। इनकी पहचान करें और ज़रूरी सुधार के साथ उन्हें बुरुस्त करके दोबारा लिखें:
भारत के राजनीतिक दलों ने कई मुद्दों को नहीं उठाया। इसी कारण सामाजिक आंदोलनों का उदय हुआ।
उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में (अब उत्तराखंड) 1970 के दशक में किन कारणों से चिपको आंदोलन का जन्म हुआ? इस आंदोलन का क्या प्रभाव पड़ा?
आंध्रा प्रदेश में चले शराब - विरोधी आंदोलन ने देश का ध्यान कुछ गंभीर मुद्दों की तरह खिंचा। ये मुद्दे क्या थे?