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Question
Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए:
बेनी माधव सिंह पुराने आदमी थे। इन भावों को ताड़ गए। उन्होंने निश्चय किया कि चाहे कुछ भी क्यों न हो, इन द्वेषियों को ताली बजाने का अकसर न दूँगा। तुरंत कोमल शब्दों में बोले “बेटा, मैं तुम से बाहर नहीं हूँ। तुम्हारा जो जी चाहे करो, अब तो लड़के से अपराध हो गया।” - बड़े घर की बेटी - प्रेमचंद |
- कथन के वक्ता एवं श्रोता का परिचय दीजिए। [2]
- 'इन भावों को ताड़ गए' कथन किस संदर्भ में कहा गया है? श्रोता ने उसे क्यों नहीं समझा था? स्पष्ट कीजिए। [2]
- किस लड़के से, कौन सा अपराध हो गया था और क्यों ? समझाकर लिखिए। [3]
- क्या श्रोता ने अपराध के लिए माफ किया? श्रोता का हृदय-परिवर्तनकराने में कौन, किस प्रकार सहायक था? [3]
Answer in Brief
One Line Answer
Solution
- वक्ता: बेनी माधव सिंह
श्रोता: श्रीकंठ सिंह (बेनी माधव सिंह के बड़े बेटे) - 'इन भावों को ताड़ गए' कथन इस संदर्भ में कहा गया है कि बेनी माधव सिंह ने गाँव के अन्य लोगों की उपस्थिति और उनके नकारात्मक विचारों को समझ लिया था। श्रोता, श्रीकंठ सिंह, इसे इसलिए नहीं समझ पाए क्योंकि वे अपनी भावनाओं और गुस्से में इतने उलझे हुए थे कि उन्हें पिता के इशारों और बातों का मर्म नहीं समझ में आया।
- बेनीमाधव सिंह के छोटे बेटे, लालबिहारी से अपनी भाभी (आनंदी) पर खडाऊँ फेंककर मारने का अपराध हो गया था। लाल बिहारी द्वारा आनंदी के मायके की बुराई करने पर आनंदी भी जबाव देती हैं। और गुस्से में आकर लालबिहारी आनंदी पर अपनी खड़ाऊँ फेंकक़र मार देता है जिससे आनंदी की ऊँगली में काफी चोट लग जाती है।
- हाँ, श्रोता (श्रीकंठ सिंह) ने अंततः अपराध के लिए माफ कर दिया। श्रोता का हृदय-परिवर्तन कराने में आनंदी सहायक थी। उसने लालबिहारी को घर छोड़ने से रोका और उसे समझाया, जिससे श्रीकंठ सिंह का हृदय पिघला और उन्होंने अपने भाई को गले से लगा लिया।
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बड़े घर की बेटी
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