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Maharashtra State BoardSSC (English Medium) 7th Standard

पद पाठ के किसी एक पद का सरल अर्थ लिखों। - Marathi (Second Language) [मराठी (द्वितीय भाषा)]

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Question

पद पाठ के किसी एक पद का सरल अर्थ लिखों।

Very Long Answer

Solution

"पायो जी, मैंने राम-रतन धन पायो।

वस्तु अमोलक दी मेरे सत गुरु, किरपा करि अपनायो।

जनम-जनम की पूँजी पाई, जग में सबै खोवायो।

खरचै नहिं कोई, चोर न लेवै, दिन-दिन बढ़त सवायो।

सत की नाव खेवटिया सत गुरु, भवसागर तरि आयो।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरि-हरि जपु जग गायो।"

सरल अर्थ:

मीरा कहती हैं कि मुझे भगवान राम का अनमोल रत्न रूपी धन मिल गया है। मेरे सतगुरु ने अपनी कृपा से यह अमूल्य वस्तु (राम का नाम) मुझे दिया है। यह ऐसा धन है जो जन्मों-जन्मों की पूँजी है, लेकिन संसार के लोग इसे नहीं पहचानते और खो देते हैं। यह धन कभी खत्म नहीं होता, कोई चुरा नहीं सकता और यह दिन-ब-दिन बढ़ता ही जाता है। मेरे सतगुरु ही उस सत्य की नाव के खेवैया (मल्लाह) हैं, जिनकी मदद से मैं इस संसार रूपी भवसागर को पार कर सकी। अंत में, मीरा अपने प्रिय गिरधर गोपाल (कृष्ण) को समर्पित होकर कहती हैं कि संसार में हर कोई हरि का नाम जपे।

भावार्थ:
इस पद में मीरा ने भक्ति और गुरु की महिमा का गुणगान किया है। वह कहती हैं कि भगवान के नाम की महिमा अपरंपार है और इसे पाने वाला सच्चे सुख और आनंद का अनुभव करता है।

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Chapter 1.1: पद - पाठ्य प्रश्न [Page 4]

APPEARS IN

Balbharati Integrated 7 Standard Part 4 [Hindi Medium] Maharashtra State Board
Chapter 1.1 पद
पाठ्य प्रश्न | Q ११. | Page 4
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