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पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है- तुलसी का यह काव्य-सत्य क्या इस समय का भी युग-सत्य है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए। - Hindi (Core)

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Question

पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है- तुलसी का यह काव्य-सत्य क्या इस समय का भी युग-सत्य है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
Answer in Brief

Solution

आज के समय में यह युग-सत्य नहीं है। पेट की आग ही आज सभी कष्टों का आरंभ करता है। तभी कहा गया है कि भूखे पेट हरी भजन नहीं होता है। लेकिन जो लोग ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ पा गए हैं, उनके लिए पेट रूपी आग का शमन करना कोई कठिन काम नहीं है। ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ अपने शीतल जल से पेट की आग को पल में ही शांत कर देता है। यह बात भक्त पर निर्भर करती है। जो भक्ति तथा ईश्वर में विश्वास नहीं करते हैं, उनके लिए पेट की आग बहुत भयंकर होती है। अतः उनके लिए भूख बहुत बड़ा बाधक है प्रभु भक्ति में। यदि उनके पेट भरे हैं, तो वो भक्ति करते हैं अन्यथा भगवान को कोसते रहते हैं। अतः आज के समय में यह काव्य-सत्य आज के समय का युग-सत्य नहीं है।
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लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप
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Chapter 8: तुलसीदास (कवितावली, लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप) - अभ्यास [Page 2]

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NCERT Hindi - Aaroh Class 12
Chapter 8 तुलसीदास (कवितावली, लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप)
अभ्यास | Q 2. | Page 2

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व्याख्या करें-
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