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Question
Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow:
निम्नलिखित अवतरण को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए:
“मुझे किसी ने बताया तक नहीं यदि कोई शिकायत थी तो उसे मिटा देना चाहिए था। हल्की सी खरोंच भी, यदि उस पर तत्काल दवाई ना लगा दी जाए, तो बढ़कर एक बड़ा घाव बन जाती है और यही घाव नासूर हो जाता है, फ़िर लाख मरहम लगाओ ठीक नहीं होता।" सूखी डाली - उपेंद्रनाथ अश्क |
- कथन का वक्ता कौन है? उसका परिचय दीजिए।
- कथन का श्रोता कौन है? श्रोता ने ऐसा क्या कहा था कि वक्ता को उपर्युक्त बात कहनी पडी?
- 'नासूर' शब्द का अर्थ लिखकर बताइए कि इस समस्या के समाधान के लिए वक्ता के क्या विचार है?
- 'सूखी डाली' एकांकी किस पृष्ठभूमि पर आधारित है? इसके शीर्षक की सार्थकता पर भी प्रकाश डालिए।
Answer in Brief
Solution
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- वक्ता: इस कथन का वक्ता दादा जी (मूलराज) हैं।
- परिचय: दादा जी एक बुजुर्ग व्यक्ति हैं, जो अपने पूरे परिवार को एकजुट रखने का प्रयास करते हैं। वे परिवार के मुखिया हैं और अपने अनुभव और समझदारी से परिवार के सभी सदस्यों के बीच सामंजस्य बनाए रखते हैं।
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- श्रोता: इस कथन का श्रोता कर्मचंद है, जो दादा जी का मंझला बेटा है।
- श्रोता ने क्या कहा: कर्मचंद ने दादा जी को बताया था कि परेश की पत्नी, छोटी बहू (बेला), अपने मायके की तुलना में इस घर को नीचा समझती है और इस घर में मन नहीं लग रहा है। उसने यह भी बताया कि बेला को रजाई के अबरे और मलमल के थान पसंद नहीं आए और उसने अपने मायके के सामान की प्रशंसा की।
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- नासूर: नासूर का अर्थ है, एक पुराना और लम्बे समय से ठीक न होने वाला घाव।
- समस्या के समाधान के लिए वक्ता के विचार: वक्ता, दादा जी, का मानना है कि छोटी बहू के मन में उठ रही समस्या को तुरंत हल करना आवश्यक है, नहीं तो यह समस्या बढ़कर परिवार में एक बड़ा झगड़ा बन सकती है। उनके विचार में, छोटी बहू को आदर और प्रेम देकर उसके मन में पैदा हुई घृणा और असंतोष को मिटाया जा सकता है। वह चाहते हैं कि परिवार का हर सदस्य छोटी बहू का आदर करे और उसके साथ स्नेहपूर्वक व्यवहार करे ताकि वह अपने आपको परायों के बीच में न समझे।
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- पृष्ठभूमि: “सूखी डाली” एकांकी एक संयुक्त परिवार की कहानी है, जहाँ परिवार के सभी सदस्य एक छत्र के नीचे रहते हैं। दादा जी पूरे परिवार को एक वृक्ष के समान मानते हैं, जिसकी शाखाएँ परिवार के सदस्य हैं। छोटी बहू (बेला) के आगमन से परिवार में असंतोष और असामंजस्य उत्पन्न होता है।
- शीर्षक की सार्थकता: शीर्षक “सूखी डाली” परिवार के उस सदस्य को दर्शाता है जो परिवार के बाकी सदस्यों के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पाता और खुद को अलग-अलग महसूस करता है। छोटी बहू (बेला) इस परिवार में नई आई है और अपने मायके के मुकाबले इस घर को नीचा समझती है, जिससे वह परिवार के अन्य सदस्यों से कट जाती है और सूखी डाली की तरह अलग-थलग पड़ जाती है। इस एकांकी का शीर्षक दर्शाता है कि परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर रहें और किसी भी सदस्य को अलग-अलग या सूखा न होने दें।
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सूखी डाली
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