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“संभव की कला ही राजनीति है।” इसी प्रकार “समाधान की कला ही विज्ञान है।” विज्ञान की प्रकृति तथा व्यवहार पर इस सुन्दर सूक्ति की व्याख्या कीजिए। - Physics (भौतिक विज्ञान)

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Question

“संभव की कला ही राजनीति है।” इसी प्रकार “समाधान की कला ही विज्ञान है।” विज्ञान की प्रकृति तथा व्यवहार पर इस सुन्दर सूक्ति की व्याख्या कीजिए।

Answer in Brief

Solution

राजनीति में सब कुछ संभव होता है। राजनीतिज्ञ अवसरवादी होते हैं। उनकी न कोई आचार संहिता होती है, न कोई नियम और न कोई उसूल। उनका एकमात्र लक्ष्य सत्ता में बना रहना होता है, साधन चाहे उचित हो अथवा अनुचित। किंतु वैज्ञानिक घटनाओं का सावधानीपूर्वक निरीक्षण करता है। समंक व संकलित करता है तथा उनका विश्लेषण करता है और प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर नियमों का प्रतिपादन करता है। इस प्रकार यह प्रकृति के रहस्यों का उद्घाटन करता है। उसका एकमात्र ध्येय नियमों का पालन तथा प्रतिपादन करना होता है।

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भौतिकी, प्रौद्योगिकी तथा समाज
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Chapter 1: भौतिक जगत - अभ्यास [Page 14]

APPEARS IN

NCERT Physics [Hindi] Class 11
Chapter 1 भौतिक जगत
अभ्यास | Q 1.3 | Page 14

RELATED QUESTIONS

विज्ञान की प्रकृति से संबंधित कुछ अत्यंत पारंगत प्रकथन आज तक के महानतम वैज्ञानिकों में से एक अल्बर्ट आइंस्टाइन द्वारा प्रदान किए गए हैं। आपके विचार से आइंस्टाइन  को उस समय क्या तात्पर्य था, जब उन्होंने कहा था-“संसार के बारे में सबसे अधिक अबोधगम्य विषय यह है कि यह बोधगम्य है?”


“प्रत्येक महान भौतिक सिद्धांत अपसिद्धांत से आरंभ होकर धर्मसिद्धांत के रूप में समाप्त होता है।” इस तीक्ष्ण टिप्पणी की वैधता के लिए विज्ञान के इतिहास से कुछ उदाहरण लिखिए।


किसी भी भौतिक विज्ञानी ने इलेक्ट्रॉन के कभी भी दर्शन नहीं किए हैं। परन्तु फिर भी सभी भौतिक विज्ञानियों का इलेक्ट्रॉन के अस्तित्व में विश्वास है। कोई बुद्धिमान, परन्तु अंधविश्वासी व्यक्ति इसी तुल्यरूपता को इस तर्क के साथ आगे बढ़ाता है कि यद्यपि किसी ने देखा नहीं है, परन्तु भूतों का अस्तित्व है। आप इस तर्क का खंडन किस प्रकार करेंगे?


प्रायः यह कहा जाता है कि संसार अब दूसरी औद्योगिक क्रांति के दौर से गुजर रहा है, जो समाज में पहली क्रांति की भाँति आमूल परिवर्तन ला देगी। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के उन प्रमुख समकालीन क्षेत्रों की सूची बनाइए जो इस क्रांति के लिए उत्तरदायी हैं।


बाईसवीं शताब्दी के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी पर अपनी निराधार कल्पनाओं को आधार मानकर लगभग 1000 शब्दों में कोई कथा लिखिए।


किसी भी ज्ञान की भाँति विज्ञान का उपयोग भी, उपयोग करने वाले पर निर्भर करते हुए, अच्छा अथवा बुरा हो सकता है। नीचे विज्ञान के कुछ अनुप्रयोग दिए गए हैं। विशेषकर कौन-सा अनुप्रयोग अच्छा है, बुरा है अथवा ऐसा है कि जिसे स्पष्ट रूप से वर्गबद्ध नहीं किया जा सकता? इसके बारे में अपने दृष्टिकोणों को सूचीबद्ध कीजिए-

  1. आम जनता को चेचक के टीके लगाकर इस रोग को दबाना और अन्ततः इस रोग से जनता को मुक्ति दिलाना। (भारत में इसे पहले ही प्रतिपादित किया जा चुका है।)
  2. निरक्षरता का विनाश करने तथा समाचारों एवं धारणाओं के जनसंचार के लिए टेलीविजन।
  3. जन्म से पूर्व लिंग-निर्धारण।
  4. कार्यदक्षता में वृद्धि के लिए कम्प्यूटर।
  5. पृथ्वी के परितः कक्षाओं में मानव-निर्मित उपग्रहों की स्थापना।
  6. नाभिकीय शस्त्रों का विकास।
  7. रासायनिक तथा जैव-युद्ध की नवीन तथा शक्तिशाली तकनीकों का विकास।
  8. पीने के लिए जल का शोधन।
  9. प्लास्टिक शल्य क्रिया।
  10. क्लोनिंग ।

भारत में गणित, खगोलिकी, भाषा विज्ञान, तर्क तथा नैतिकता में महान विद्वत्ता की एक लंबी एवं अटूट परम्परा रही है। फिर भी इसके साथ एवं समान्तर, हमारे समाज में बहुत से अंधविश्वासी तथा रूढ़िवादी दृष्टिकोण व परम्पराएँ फली-फूली हैं और दुर्भाग्यवश ऐसा अभी भी हो रहा है और बहुत-से शिक्षित लोगों में व्याप्त है। इन दृष्टिकोणों का विरोध करने के लिए अपनी रणनीति बनाने में आप अपने विज्ञान के ज्ञान का उपयोग किस प्रकार करेंगे?


यद्यपि भारत में स्त्री तथा पुरुषों को समान अधिकार प्राप्त हैं, फिर भी बहुत से लोग महिलाओं की स्वाभाविक प्रकृति, क्षमता, बुद्धिमत्ता के बारे में अवैज्ञानिक विचार रखते हैं। तथा व्यवहार में उन्हें गौण महत्त्व तथा भूमिका देते हैं। वैज्ञानिक तक तथा विज्ञान एवं अन्य क्षेत्रों में महान महिलाओं का उदाहरण देकर इन विचारों को धाराशायी कीजिए तथा अपने को स्वयं तथा दूसरों को भी समझाइए कि समान अवसर दिए जाने पर महिलाएँ पुरुषों के समकक्ष होती हैं।


यद्यपि उपर्युक्त प्रकथन विवादास्पद हो सकता है परन्तु अधिकांश भौतिक विज्ञानियों का यह मत है कि भौतिकी के महान नियम एक ही साथ सरल एवं सुन्दर होते हैं। डिरैक के अतिरिक्त जिन सुप्रसिद्ध भौतिक विज्ञानियों ने ऐसा अनुभव किया उनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं-आइंस्टाइन, बोर, हाइसेनबर्ग, चन्द्रशेखर तथा फाइनमैन। आपसे अनुरोध है कि आप भौतिकी के इन विद्वानों तथा अन्य महानायकों द्वारा रचित सामान्य पुस्तकों एवं लेखों तक पहुँचने के लिए विशेष प्रयास अवश्य करें। (इस पुस्तक के अन्त में दी गई ग्रंथ-सूची देखिए)। इनके लेख सचमुच प्रेरक हैं।


विज्ञान की पाठ्य-पुस्तकें आपके मन में यह गलत धारणा उत्पन्न कर सकती हैं कि विज्ञान पढ़ना शुष्क तथा पूर्णतः अत्यंत गंभर है एवं वैज्ञानिक भुलक्कड़, अंतर्मुखी, कभी न हँसने वाले अथवा खीसे निकालने वाले व्यक्ति होते हैं। विज्ञान तथा वैज्ञानिकों का यह चित्रण पूर्णतः आधारहीन है। अन्य समुदाय के मनुष्यों की भाँति वैज्ञानिक भी विनोदी होते हैं। तथा बहुत से वैज्ञानिकों ने तो अपने वैज्ञानिक कार्यों को गंभीरता से पूरा करते हुए अत्यंत विनोदी प्रकृति के साथ साहसिक कार्य करके अपना जीवन व्यतीत किया है। गैमो तथा फाइनमैन इसी शैली के दो भौतिक विज्ञानी हैं। ग्रंथ सूची में उनके द्वारा रचित पुस्तकों को पढ़ने में आपको आनन्द प्राप्त होगा।


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