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Maharashtra State BoardSSC (English Medium) 7th Standard

।। संत न छाड़ें संतई ।। - Marathi (Second Language) [मराठी (द्वितीय भाषा)]

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Question

।। संत न छाड़ें संतई ।। 

Very Long Answer

Solution

एक गहरी और प्रेरणादायक कहावत है, जिसका अर्थ है कि संत अपनी संत प्रवृत्ति को कभी नहीं छोड़ते।

संत का स्वभाव करुणा, प्रेम, दया, सत्य और परोपकार से परिपूर्ण होता है। परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हों, एक सच्चा संत अपनी मूल प्रवृत्ति को कभी नहीं बदलता। वह सदैव दूसरों के हित में कार्य करता है, सत्य के मार्ग पर चलता है और लोककल्याण के लिए समर्पित रहता है।

यह कथन हमें यह सिखाता है कि हमें भी अपने अच्छे गुणों और नैतिक मूल्यों को कभी नहीं त्यागना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों।

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Chapter 1.1: पद - पाठ्य प्रश्न [Page 1]

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Balbharati Integrated 7 Standard Part 4 [Hindi Medium] Maharashtra State Board
Chapter 1.1 पद
पाठ्य प्रश्न | Q १. | Page 1
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