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संत तुकाराम के किन्हीं चार दोहरों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए। - Hindi [हिंदी]

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Question

संत तुकाराम के किन्हीं चार दोहरों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

Answer in Brief

Solution

1) तुका संगत तिन से कहिए, जिन से सुख दुनाए।
दुर्जन तेरा तू काला, थीतो प्रेम घटाए ।।

भावार्थ: मित्र की मार्मिक परिभाषा प्रस्तुत करते हुए तुकाराम कहते हैं कि उचित संगति उसी की है, जिससे हमारे सुख में वृद्धि होती हो। कलमुहे दुर्जन की संगति में हमारा रहा-सहा आनंद भी समाप्त हो जाता है।

2) तुका मिलना तो भला, मन सूं मन मिल जाय।
उपर उपर मीटा घासनी, उन को को न बराय।।

भावार्थ: तुकाराम कहते हैं कि वे उसी मित्रता को अच्छी मानते हैं, जिसमें लोगों के मन आपस में मिलें। ऊपर-ऊपर से घिसकर साफ करने से अंदर की गंदगी दूर नहीं होती है, ऐसे लोगों से कौन न बचना चाहेगा?

3) तुका और मिठाई क्‍या करूँ, पाले विकार पिंड।
राम कहावेसो भली रूखी, माखन खीर खांड।।

भावार्थ: तुकाराम कहते हैं कि अधिक मिठाई लेकर क्या करूँगा। इससे तो व्यक्ति में विकार (दोष) बढ़ता है। उन्हें तो केवल इस प्रकार का रूखा-सूखा ही चाहिए, जिससे वे राम का नाम कह सकें। वे मक्खन, खीर तथा खांड़ का सेवन नहीं करना चाहते क्योंकि इससे राम जी का नाम लेने में बाधा उपस्थित हो सकती है।

4) तुका इच्छा मीट नहीं तो, काहा करे जटा खाक।
मथीया गोलाडार दिया तो, नहिं मिलेफेरन ताक।।

भावार्थ: तुकाराम जी कहते हैं कि जब तक व्यक्ति की इच्छा नहीं मिटती, तो लंबे केश तथा शरीर में राख लगाने से क्या लाभ? तुकाराम के अनुसार यदि मथानी का गोला निकाल दिया, तो दही खाली डंडे से मथने से छाछ नहीं मिलती।

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नवनीत
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Chapter 2.06: नवनीत - स्वाध्याय [Page 81]

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Balbharati Hindi - Kumarbharati 9 Standard Maharashtra State Board
Chapter 2.06 नवनीत
स्वाध्याय | Q (३) | Page 81
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