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संविधान सभा के कुछ सदस्यों ने उस समय की राजनीतिक परिस्थिति और एक मज़बूत केंद्र सरकार की ज़रूरत के बीच क्या संबंध देखा? - History (इतिहास)

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Question

संविधान सभा के कुछ सदस्यों ने उस समय की राजनीतिक परिस्थिति और एक मज़बूत केंद्र सरकार की ज़रूरत के बीच क्या संबंध देखा?

Long Answer

Solution

संविधान सभा के कुछ सदस्य केन्द्र सरकार को अधिकाधिक शक्तिशाली देखना चाहते थे। ऐसे सदस्यों के विचारानुसार तत्कालीन राजनैतिक परिस्थिति में एक शक्तिशाली केंद्र सरकार की नितांत आवश्यकता थी। बी०आर० अम्बेडकर के मतानुसार एक मज़बूत केंद्र ही देश में शान्ति और सुव्यवस्था की स्थापना करने में समर्थ हो सकता था। उन्होंने घोषणा की कि वह “एक शक्तिशाली और एकीकृत केंद्र (सुनिए, सुनिए); 1935 के गवर्नमेंट एक्ट में हमने जो केंद्र बनाया था, उससे भी अधिक शक्तिशाली केंद्र” चाहते हैं। केंद्र की शक्तियों में वृद्धि किए जाने के समर्थक सदस्यों का विचार था कि एक शक्तिशाली केंद्र ही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने में समर्थ हो सकता था। गोपालस्वामी अय्यर प्रांतों की शक्तियों में वृद्धि किए जाने के स्थान पर केंद्र को अधिक शक्तिशाली देखना चाहते थे। उनका विचार था कि केंद्र अधिक-से-अधिक मज़बूत होना चाहिए।” संयुक्त प्रांत (आधुनिक उत्तर प्रदेश) के एक सदस्य बालकृष्ण शर्मा ने भी एक शक्तिशाली केन्द्र की आवश्यकता पर बल दिया।

उनकी दलील थी कि (1) देश के हित में योजना बनाने के लिए; (2) उपलब्ध आर्थिक संसाधनों को जुटाने के लिए; (3) उचित शासन व्यवस्था की स्थापना करने के लिए एवं (4) विदेशी आक्रमण से देश की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली केन्द्र नितांत आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि देश के विभाजन से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रांतों को पर्याप्त स्वायत्तता दिए जाने के पक्ष में थी। हमें याद रखना चाहिए कि कांग्रेस ने कुछ सीमा तक मुस्लिम लीग को भी यह विश्वास दिलाने का प्रयास किया था कि लीग की सरकार वाले प्रांतों में हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। किंतु विभाजन के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई परिस्थितियों के कारण अधिकांश राष्ट्रवादियों की राय परिवर्तित हो चुकी थी।

उनकी दलील थी कि विद्यमान परिस्थितियों में विकेंद्रीकृत संरचना के लिए पहले जैसे राजनैतिक दबाव न होने के कारण प्रांतों को अधिक शक्तियाँ दिए जाने की आवश्यकता नहीं थी। हमें यह याद रखना चाहिए कि औपनिवेशिक प्रशासकों द्वारा थोपी गई एकल व्यवस्था देश में पहले से ही अस्तित्व में थी। उस काल में घटित होनेवाली घटनाओं ने केंद्रीकरण को और अधिक प्रोत्साहित किया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के तत्काल पश्चात् देश में व्याप्त अराजकता एवं अव्यवस्था पर अंकुश लगाने के लिए तथा देश के आर्थिक विकास की योजना बनाने के लिए शक्तिशाली केंद्र की आवश्यकता और अधिक महत्त्वपूर्ण बन गई थी। अतः संविधान सभा के अनेक सदस्य शक्तिशाली केंद्र की आवश्यकता पर बल दे रहे थे। यही कारण है कि भारतीय संविधान में एक शक्तिशाली केन्द्र की व्यवस्था की ओर स्पष्ट झुकाव दृष्टिगोचर होता है।

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संविधान की दृष्टि
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Chapter 15: संविधान का निर्माण - अभ्यास [Page 431]

APPEARS IN

NCERT History [Hindi] Class 12
Chapter 15 संविधान का निर्माण
अभ्यास | Q 7. | Page 431
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