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Question
सुरक्षा के परंपरागत दृष्टिकोण के हिसाब से बताएँ की अगर किसी राष्ट्र पर खतरा मंडरा रहा हो तो उसके सामने क्या विकल्प होते हैं?
Solution
अधिकतर हमारा सामना सुरक्षा की परंपरिक अर्थात राष्ट्रिय सुरक्षा की धारणा से होता है। सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है। इस खतरे का स्रोत कोई दूसरा देश होता है जो सैन्य हमले की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतत्रंता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे किसी देश के केंद्रीय मूल्यों के लिए खतरा पैदा करता है। सैन्य कार्यवाही से आम नागरिकों के जीवन को भी खतरा होता है। अगर किसी राष्ट्र पर खतरा मंडरा रहा हो तो युनियादि तौर पर किसी सरकार के पास में तीन विकल्प होते हैं - आत्मसमर्पण करना तथा दूसरे पक्ष की बात को बिना युद्ध किए मान लेना अथवा युद्ध से होने वाले नाश को इस हद तक पढ़ने के संकेत देना की दूसरा पक्ष सहमकर हमला करने से बाज आये या युद्ध ठन जाए तो अपनी रक्षा करना ताकि हमलावर देश अपने मकसद में कामयाब न हो सके और पीछे हट जाये अथवा हमलावर को पराजित कर देना।
युद्ध में कोई सरकार भले ही आत्मसमर्पण कर दे परन्तु वह इसे अपने देश की निति के रूप में कभी प्रचारित नहीं करना चाहेगी। इस कारण सुरक्षा - निति का संबंध युद्ध की आशंका को रोकने में होता है जिसे 'अवरोध' कहा जाता है और युद्ध को सिमित रखने अथवा उसको समाप्त करने से होता है जिसे 'रक्षा' कहा जाता है।