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‘सुसंगति का फल’ इसपर अपने विचार स्पष्ट कीजिए। - Hindi [हिंदी]

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Question

‘सुसंगति का फल’ इसपर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।

Answer in Brief

Solution

संगति का प्रभाव मानव जीवन पर अवश्य पड़ता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, इसलिए वह समाज के बिना नहीं रह सकता। समाज में रहने के कारण वह किसी-न-किसी से संगत जरूर करेंगा। यदि संगत अच्छी है तो वह गुणवान होगा और यदि कुसंगत है तो उसमें कई बुराइयाँ होंगी। संगति दो प्रकार की होती है, इनमें पहली है सत्संगत अर्थात्‌ अच्छे लोगों की संगत तथा दूसरी है कुसंगत अर्थात्‌ बुरे लोगों की संगत। अच्छे लोगों की संगत से जहाँ मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होती है वहीं वह उन्नति दिलाती है। कोई भी व्यक्ति जन्म से बुरा-भला नहीं होता। वह समाज में रहकर ही भला या बुरा बनता है। जन्म के बाद से बच्चा तीन-चार वर्ष की आयु तक ज्यादातर समय घर में ही रहता है, इसलिए इस दौरान वह अपने माता-पिता तथा परिवार के अन्य सदस्यों से काफी कुछ सीखता है। उसके माता-पिता के जैसे संस्कार होंगे वह वैसे ग्रहण करता है, जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, इसके बाद वह घर से बाहर निकलने लगता है और समाज से काफी कुछ सीखता है। अच्छी संगत ईमानदारी का निर्माण करने में महत्पूर्ण भूमिका निभाती है। सत्संगति साधु तथा सज्जनों की संगति है, जो हर प्रकार वंदनीय तथा गुणों की खान होते हैं, जो अवगुणों को सदगुणों में बदलते हैं। वे समाज के उत्तम प्रकृति के व्यक्ति होते हैं जिन पर संत समुदाय अपना भरोसा रखता है। हमें सत्संगति दो प्रकार से मिल सकती है, प्रथम, सज्जन तथा साधु पुरुषों के सम्पर्क से तथा दूसरी अच्छी पुस्तकों से। दोनों प्रकार की संगति से कोई भी मनुष्य विवेकी, ज्ञानी तथा चरित्रवान बन सकता है।

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बर्फ की धरती
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Chapter 1.05: बर्फ की धरती - स्वाध्याय [Page 20]

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Balbharati Hindi - Kumarbharati 9 Standard Maharashtra State Board
Chapter 1.05 बर्फ की धरती
स्वाध्याय | Q ३ | Page 20
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