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Question
स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ समझते हुए प्रस्तुत गीत का रसास्वादन कीजिए।
Solution
गिरिजाकुमार माथुर जी द्वारा रचित 'पंद्रह अगस्त' कविता एक गीत है। इसे उनके 'धूप के धान' काव्य-संग्रह से लिया गया है। यहाँ कवि देश की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात पहरेदारों के माध्यम से सभी देशवासियों को संबोधित करते हुए, उन्हें हर क्षण सतर्क रहने के लिए कह रहे है। भारत ने स्वतंत्रता तो प्राप्त कर ली है, लेकिन सही मायने में भारत आज भी स्वतंत्र नहीं हुआ है। वर्तमान समय में हमारा देश कई समस्याओं से जूझ रहा है | हमें सजगता और एक-दूसरे के सहयोग से अपने समाज का पुनरुत्थान करना होगा। सभी समस्याओं को जड़ उखाड़ फेंकने के बाद हीं हमारा देश सही मायने में स्वतंत्र कहलाएगा।
कविता की 'आज प्रभंजन बनकर चलरतीं युग बंदिनी हवाएँ' इन पंक्तियों से एक ओर जहाँ वीर रस की अनुभूति होती है, वहीं दूसरी ओर 'शोषण से मृत है समाज कमजोर हमारा घर है' इन पंक्तियों से करुण रस छलक रहा है।
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