English

तुम्हें भूल जाने की दक्षिण ध्रुवी अंधकार-अमावस्या शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पा लूँ मैं झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं - Hindi (Core)

Advertisements
Advertisements

Question

तुम्हें भूल जाने की
दक्षिण ध्रुवी अंधकार-अमावस्या
शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पा लूँ मैं
झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं
इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित
रहने का रमणीय यह उजेला अब
सहा नहीं जाता है।

  1. यहाँ अंधकार-अमावस्या के लिए क्या विशेषण इस्तेमाल किया गया है उससे विशेष्य में क्या अर्थ जुड़ता है?
  2. कवि ने व्यक्तिगत संदर्भ में किस स्थिति को अमावस्या कहा है?
  3. इस स्थिति से ठीक विपरीत ठहरने वाली कौन-सी स्थिति कविता में व्यक्त हुई है? इस वैपरीत्य को व्यक्त करने वाले शब्द का व्याख्यापूर्वक उल्लेख करें।
  4. कवि अपने संबोध्य (जिसको कविता संबंधित है कविता का 'तुम') को पूरी तरह भूल जाना चाहता है, इस बात को प्रभावी तरीके से व्यक्त करने के लिए क्या युक्ति अपनाई है? रेखांकित अंशों को ध्यान में रखकर उत्तर दें।
Answer in Brief

Solution

  1. यहाँ अंधकार-अमावस्या के लिए दक्षिणी ध्रुव विशेषण का प्रयोग किया गया है। इससे विशेष्य में व्याप्त जो कालिमा है, वह और भी काली प्रतीत होती है। दक्षिणी ध्रुव में 6 महीने तक सूर्योदय नहीं होता है। अतः वहाँ कभी न समाप्त होने वाला काला अंधकार व्याप्त रहता है।

  2. कवि ने व्यक्तिगत संदर्भ में दुख के समय को अमावस्या कहा है। जिस प्रकार अंधकार पूरे संसार को ढक लेता है, वैसे ही दुख रूपी अंधकार कवि के शरीर तथा आत्मा को ढक लेना चाहता है।

  3. वह रमणीय उजेला को झेले और उसी में नहा ले।– स्थिति का वर्णन पहले कविता में किया गया है। कविता की पंक्तियाँ जो प्रश्न में दी गई हैं, वहाँ पर अंधकार-अमावस्या की बात की गई है। लेकिन जो पंक्ति में उजेला शब्द है, वह इसके ठीक विपरीत स्थिति है। जिस प्रकार दुख रूपी अंधकार अमावस्या कवि के जीवन में व्याप्त है, वैसे ही लेखिका का सुंदर चेहरा उस प्रकाश के समान है, जो इस अंधेरे को उसके जीवन में गहराने नहीं देता है। प्रेमिका का सुंदर चेहरा उसे प्रकाशित करता रहता है।

  4. कवि का यह 'तुम' लेखक की प्रेमिका है। अपनी प्रेमिका को भूल जाने के लिए कवि ने अपना बात को और भी प्रभावी रूप से इन पंक्तियों के माध्यम से व्यक्त की है। उसने भूल जाने की, उसके जीवन में प्रेमिका के प्रभाव को उतार लेने, उसे झेलने तथा नहा लेने रूपी युक्तियाँ अपनाई हैं।

shaalaa.com
सहर्ष स्वीकारा है
  Is there an error in this question or solution?
Chapter 5: गजानन माधव मुक्तिबोध (सहर्ष स्वीकारा है) - अभ्यास [Page 33]

APPEARS IN

NCERT Hindi - Aaroh Class 12
Chapter 5 गजानन माधव मुक्तिबोध (सहर्ष स्वीकारा है)
अभ्यास | Q 4. | Page 33

RELATED QUESTIONS

टिप्पणी कीजिएः गरबीली गरीबी, भीतर की सरिता, बहलाती सहलाती आत्मीयता, ममता के बादल।


इस कविता में और भी टिप्पणी-योग्य पद-प्रयोग हैं। ऐसे किसी एक प्रयोग का अपनी ओर से उल्लेख कर उस पर टिप्पणी करें।


व्याख्या कीजिएः
जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है
जितना भी उँड़ेलता हूँ, भर-भर फिर आता है
दिल में क्या झरना है?
मीठे पानी का सोता है
भीतर वह, ऊपर तुम
मुसकाता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है!

उपर्युक्त पंक्तियों की व्याख्या करते हुए यह बताइए कि यहाँ चाँद की तरह आत्मा पर झुका चेहरा भूलकर अंधकार-अमावस्या में नहाने की बात क्यों की गई है?


बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है- और कविता के शीर्षक सहर्ष स्वीकारा है में आप कैसे अंतर्विरोध पाते हैं। चर्चा कीजिए।


अतिशय मोह भी क्या त्रास का कारक है? माँ का दूध छूटने का कष्ट जैसे एक ज़रूरी कष्ट है, वैसे ही कुछ और ज़रूरी कष्टों की सूची बनाएँ।

प्रेरणा शब्द पर सोचिए और उसके महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए जीवन के वे प्रसंग याद कीजिए जब माता-पिता, दीदी-भैया, शिक्षक या कोई महापुरुष/महानारी आपके अँधेरे क्षणों में प्रकाश भर गए।


'भय' शब्द पर सोचिए। सोचिए कि मन में किन-किन चीज़ों का भय बैठा है? उससे निबटने के लिए आप क्या करते हैं और कवि की मनःस्थिति से अपनी मनःस्थिति की तुलना कीजिए।


Share
Notifications

Englishहिंदीमराठी


      Forgot password?
Use app×