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Question
विभिन्न देशों के सामने सबसे गंभीर चुनौती वैश्विक पर्यावरण को आगे कोई नुकसान पहुँचाए बगैर आर्थिक विकास करने की है। यह कैसे हो सकता है? कुछ उदाहरणों के साथ समझाएँ।
Long Answer
Solution
पर्यावरण हानि की चुनौतियों से निबटने के लिए सरकारों ने अंतररष्ट्रीय स्तर पर जो पेशकदमी की है हम उसके बारे में जान चुके हैं लेकिन इन चुनौतियों के मद्देनजर कुछ महत्त्वपूर्ण पेशक़दमीयाँ सरकारों की तरफ से नहीं बल्कि विश्व के विभिन्न भागों में संक्रिया पर्यावरण के प्रति सचेत कार्यकर्ताओं ने की हैं। इन कार्यकर्ताओं में कुछ तो अंतराष्ट्रीय स्तर पर और अधिकांश स्थानीय स्तर पर सक्रिय हैं।
- दक्षिणी देशों मसलन मोक्सिकों, चिली, ब्राजील, मलेशिया, इंडोनेशिया, महादेशीय अफ्रीका और भारत के वन - आंदोलनों पर बहुत दबाव है तीन दशकों से पर्यावरण को लेकर सक्रियता का दौर जारी है। इसके बावजूद तीसरी दुनिया के विभिन्न देशों में वनों को कटाई खतरनाक गति से जारी है। पिछले दशक में विश्व के बचे - खुचे विशालतम वनों का विनाश बड़ा है।
- खनिज - उद्योग पृथ्वी पर मौजूद सबसे प्रभावशाली उद्योगों में से एक हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में उदारीकरण के कारण दक्षिणी गोलार्द्ध के अनेक देशों की अर्थव्यवस्था बहुराष्ट्रीय कम्पनियो के लिए खुल चुकी है। खनिज उद्योग धरती के भीतर मौजूद संसाधनो को बाहर निकलता है, रसायनों का भरपूर उपयोग करता है; भूमि और जलमागों को प्रदूषित करता है; स्थानीय वनस्पतियों का विनाश करता है और इसके कारण जन - समुदायों को विस्थापित होना पड़ता है। कई बातों के साथ इन कारणों से विश्व के विभिन्न भागों में खनिज - उद्योग की आलोचना और विरोध हुआ है।
- उदाहरण
- फिलीपींस एक अच्छी मिसाल है जहाँ कई समूहों और संगठनों ने एक साथ मिलकर एक ऑस्टेलिआई बहुराष्ट्रीय कम्पनी 'वेस्टर्न माइनिंग कार्पोरेशन' के खिलाफ अभियान चलाया। इस कंपनी का विरोध खुद इसके स्वदेश यानि ऑस्टेलिआई में हुआ। इस विरोध के पीछे परमाणिवक शक्ति के मुखलफ़्त की भावनाएँ काम कर रहे है। ऑस्टेलियाई आदिवासियों के बुनियादी अधिकारों की पैरोकारी के कारण भी किया जा रहा है।
- कुछ आंदोलन बड़े बांधों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। अब बाँध - विरोधी आंदोलन को नदियो को बचाने के आंदोलनों के रूप में देखने की प्रवृति भी बढ़ रही है क्योंकि ऐसे आंदोलन में नदियों और नदी - घटियों के ज़्यादा टिकाऊ तथा न्यायसंगत प्रबंध न की बात उठायी जाती है। सन 1980 के दशक के शुरुआती और मध्यवर्ती वर्षो में विश्व का पहला बाँध - विरोध आंदोलन दक्षिण गोलार्द्ध में चला। आस्टेलिया में चला यह आंदोलन फ्रेंकलिन नदी तथा इसके परिवर्ती वन को बचाने का आंदोलन था यह वन और विजनपन की पैरोकरि करने वाला आंदोलन तो था ही, बाँध - विरोधी आंदोलन भी था।
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पर्यावरण के मसले पर भारत का पक्ष
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