English

वर्नर की अभिधारणाओं के आधार पर उपसहसंयोजन यौगिकों में आबंधन को समझाइए। - Chemistry (रसायन विज्ञान)

Advertisements
Advertisements

Question

वर्नर की अभिधारणाओं के आधार पर उपसहसंयोजन यौगिकों में आबंधन को समझाइए।

Explain

Solution

मुख्य अभिधारणाओं इस प्रकार हैं:

  1. उपसहसंयोजन यौगिकों में धातुएँ दो प्रकार की संयोजकताएँ दर्शाती हैं- प्राथमिक तथा द्वितीयक।
  2. प्राथमिक संयोजकताएँ सामान्य रूप से धातु परमाणु की ऑक्सीकरण अवस्था से संबंधित होती हैं तथा आयननीय होती हैं। ये संयोजकताएँ ऋणात्मक आयनों द्वारा संतुष्ट होती हैं।
  3. द्वितीयक संयोजकताएँ धातु परमाणु की उपसहसंयोजन संख्या से संबंधित होती हैं। द्वितीयक संयोजकताएँ अन-आयननीय होती हैं। ये उदासीन अणुओं अथवा ऋणात्मक आयनों द्वारा संतुष्ट होती हैं। द्वितीयक संयोजकता उपसहसंयोजन संख्या के बराबर होती है तथा इसका मान किसी धातु के लिए सामान्यत: निश्चित होता है।
  4. धातु से द्वितीयक संयोजकता से आबंधित आयन समूह विभिन्न उपसहसंयोजन संख्या के अनुरूप दिक्स्थान में विशिष्ट रूप से व्यवस्थित रहते हैं।
shaalaa.com
उपसहसंयोजन यौगिकों का वर्नर का सिद्धांत
  Is there an error in this question or solution?
Chapter 9: उपसहसंयोजन यौगिक - अभ्यास [Page 275]

APPEARS IN

NCERT Chemistry [Hindi] Class 12
Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक
अभ्यास | Q 9.1 | Page 275
Share
Notifications

Englishहिंदीमराठी


      Forgot password?
Use app×