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प्रश्न
परंपरागत और अपारंपरिक सुरक्षा के क्या अंतर है? गठबंधनों का निर्माण करना और उनको बनाये रखना रखना इनमें से किस कोटि में आता है?
अंतर स्पष्ट करें
उत्तर
सुरक्षा की विभिन्न धारणाओं को दो कोटियों में रखा जाता है १. सुरक्षा की पारंपरिक धारणा और २. सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा। दोनों में निम्न प्रमुख अंतर हैं -
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा | सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा |
पारंपरिक धारणा का संबंध मुख्यत: बहरी सुरक्षा से होता है। यह सुरक्षा मुख्यतः राष्ट्र की सुरक्षा की धारणा से संबंधित होती है। | सुरंक्षा की अपारंपरिक धारणा न केवल सैन्य खतरों से संबंध रखती है बल्कि इसमें मानवीय अस्तित्व पर चोट करने वाले अन्य व्यापक खतरों और आशंकाओं को भी शामिल किया जाता है। इस अवधारणा में सरकार इस बात के लिए विवश होती है की वह किन - किन चीजों की सुरक्षा करे, किन खतरों से उन चीजों की सुरक्षा करे और सुरक्षा करने के लिए कौन - से तरिके अपनाए। |
सुरक्षा की पारम्परिक धारणा में सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक समझा जाता है। | सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में भू - क्षेत्रों और संस्थाओं सहित राज्यों को संदर्भ माना जाता है लेकिन सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा में संदर्भों का दायरा बड़ा होता है अर्थात इसमें सिर्फ राज्य ही नहीं व्यक्तियों और संप्रदायों या कहें की संपूर्ण मानवता की सुरक्षा की जरूरत होती है। इसी कारण सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा को मानवता की सुरक्षा अथवा विश्व सुरक्षा कहा जाता है। |
बाहरी सुरक्षा के खतरे का स्रोत कोई दूसरा देश (मुल्क) होता है। वह देश सैन्य आक्रमण की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे किसी देश के केंद्रीय मूल्यों के लिए खतरा उत्पन्न करता है। | इस धारणा में मानवता की रक्षा का विचार जनता जनार्दन की सुरक्षा को जजों की सुरक्षा से बढ़कर (अधिक महत्त्वपूर्ण) माना जाता है। मानवता की सुरक्षा और राज्य की सुरक्षा एक - दुसरे के पूरक होने चाहिए। और प्रायः होते भी हैं लेकिन सुरक्षित राज्य का मतलब हमेशा सुरक्षित जनता नहीं होता। नागरिकों को विदेशी हमलों से बचाना भले ही उनकी सुरक्षा की जरुरी शर्ते हो लेकिन इतने भर को पर्याप्त नहीं माना जा सकता। |
बहरी आक्रमण होने पर न केवल उस देश की सेना बल्कि आम नागरिकों के जीवन को भी खतरा होता है। | अपारंपरिक धारणा के अनुसार मानवता को विदेशी सेना के हाथों मारे जाने के साथ - साथ स्वयं अपनी ही सरकारों के हाथों से बचाना भी उतना जरुरी है। विद्वानों के विचारानुसार सच्चाई यह है की पिछले 100 वर्षों में जितने लोग विदेशी सेना के हाथों मारे गए उससे कहि ज्यादा लोग खुद अपनी ही सरकारों के हाथों जाते रहे। |
बुनियादी तौर पर बहरी खतरे या आक्रमण से निबटने के - लिए आक्रमण के शिकार हुए देश की सरकार के समक्ष तीन विकल्प होते हैं - (क) वह आत्मसमर्पण कर दे। (ख) वह आक्रमण पक्ष की बात बिना युद्ध किए मान ले। (ग) या हमलावर का डटकर सामना करे यधासंभव अपनी हानि को कम - से - कम (जान और माल की) और शत्रु पक्ष ज्यादा से ज्यादा हानि पहुँचाए ताकि वह घुटने ठेक दे। | अपारंपरिक सुरक्षा सरोकार की धारणा के अनुसार सुरक्षा के कई नए स्रोत हैं जैसे - आतंकवादी, भयंकर महामारियों और मानव अधिकारों पर चिंताजनक प्रहार। |
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पारंपरिक धारणा - आंतरिक सुरक्षा
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