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उपनिवेशवाद के कारण जाति व्यवस्था में क्या-क्या परिवर्तन आए? - Sociology (समाजशास्त्र)

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प्रश्न

उपनिवेशवाद के कारण जाति व्यवस्था में क्या-क्या परिवर्तन आए?

दीर्घउत्तर

उत्तर

औपनिवेशिक शासनकाल के दौरान जाति व्यवस्था में प्रमुख परिवर्तन आएजाति का वर्तमान स्वरूप प्राचीन भारतीय परंपरा की अपेक्षा उपनिवेशवाद की ही अधिक देन हैं। अंग्रेज प्रशासकों ने देश पर कुशलतापूर्वक शासन करना सीखने के उद्देश्य से जाति व्यवस्था की जटिलताओं को समझने के प्रयत्न शुरू किए। जाति के संबंध में सूचना एकत्र करने के अब तक के सबसे महत्त्वपूर्ण सरकारी प्रयत्न 1860 के दशक में प्रारंभ किए गए। ये जनगणना के माध्यम से किए गए।

सन् 1901 में हरबर्ट रिजले के निर्देशन में कराई गई जनगणना विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण थी, क्योंकि इस जनगणना के अंतर्गत जाति के सामाजिक अधिक्रम के बारे में जानकारी इकट्ठी करने का प्रयत्न किया गया अर्थात् श्रेणी क्रम में प्रत्येक जाति का सामाजिक दृष्टि के अनुसार कितना ऊँचा या नीचा स्थान प्राप्त है, इसका आकलन किया गया। अधिकृत रूप से की गई जाति की इस गणना के कारण भारत में जाति नामक संस्था की पहचान और अधिक स्पष्ट हो गई।

भू-राजस्व बंदोबस्ती तथा अन्य कानूनों ने उच्च जातियों के जाति आधारित अधिकारों को वैध मान्यता प्रदान करने का कार्य किया। बड़े पैमाने पर सिंचाई की योजनाएँ प्रारंभ की गईं तथा लोगों को बसाने का कार्य प्रारंभ किया गया। इन सभी प्रयासों का एक जातीय आयाम था। इस प्रकार, उपनिवेशवाद ने जाति संस्था में अनेक प्रमुख परिवर्तन किए। संक्षेप में, अंग्रेज़ों ने निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रमुख परिवर्तन किए-

  1. जनगणना- भारत की जातियों तथा उप-जातियों की संख्या तथा आकार का पता लगाना।
  2. समाज के विभिन्न वर्गों के मूल्यों, विश्वासो तथा रीति-रिवाजों को समझना।
  3. भूमि की बंदोबस्ती।
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जाति एवं जाति व्यवस्था
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अध्याय 3: सामाजिक संस्थाएँ : निरंतरता एवं परिवर्तन - प्रश्नावली [पृष्ठ ६३]

APPEARS IN

एनसीईआरटी Sociology [Hindi] Class 12
अध्याय 3 सामाजिक संस्थाएँ : निरंतरता एवं परिवर्तन
प्रश्नावली | Q 3. | पृष्ठ ६३
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