तुलसी ने यह कहने की ज़रूरत क्यों समझी?
धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूतु कहौ, जोलहा कहौ कोऊ/ काहू की बेटीसों बेटा न ब्याहब, काहूकी जाति बिगार न सोऊ। इस सवैया में काहू के बेटासों बेटी न ब्याहब कहते तो सामाजिक अर्थ में क्या परिवर्तन आता?
[0.0108] गोस्वामी तुलसीदास : कवितावली, लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप
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धूत कहौ ______ वाले छंद में ऊपर से सरल व निरीह दिखलाई पड़ने वाले तुलसी की भीतरी असलियत एक स्वाभिमानी भक्त हृदय की है। इससे आप कहाँ तक सहमत हैं?
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व्याख्या करें-
माँगि कै खैबो, मसीत को सोइबो, लैबोको एकु न दैबको दोऊ।।
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व्याख्या करें-
ऊँचे नीचे करम, धरम-अधरम करि, पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।।
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पेट ही पचत, बेचत बेटा-बेटकी तुलसी के युग का ही नहीं आज के युग का भी सत्य है। भुखमरी में किसानों की आत्महत्या और संतानों (खासकर बेटियों) को भी बेच डालने की हृदय-विदारक घटनाएँ हमारे देश में घटती रही हैं। वर्तमान परिस्थितियों और तुलसी के युग की तुलना करें।
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तुलसी के युग की बेकारी के क्या कारण हो सकते हैं? आज की बेकारी की समस्या के कारणों के साथ उसे मिलाकर कक्षा में परिचर्चा करें।
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यहाँ कवि तुलसी के दोहा, चौपाई, सोरठा, कवित्त, सवैया- ये पाँच छंद प्रयुक्त हैं। इसी प्रकार तुलसी साहित्य में और छंद तथा काव्य-रूप आए हैं। ऐसे छंदों व काव्य-रूपों की सूची बनाएँ।
[0.0108] गोस्वामी तुलसीदास : कवितावली, लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप
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शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यंजित करना चाहता है?
[0.0109] फ़िराक गोरखपुरी : रुबाइयाँ, गज़ल
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गोदी के चाँद और गगन के चाँद का रिश्ता।
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सावन की घटाएँ व रक्षाबंधन का पर्व।
[0.0109] फ़िराक गोरखपुरी : रुबाइयाँ, गज़ल
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इन रुबाइयों से हिंदी, उर्दू और लोकभाषा के मिले-जुले प्रयोगों को छाँटिए।
[0.0109] फ़िराक गोरखपुरी : रुबाइयाँ, गज़ल
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कविता में एक भाव, एक विचार होते हुए भी उसका अंदाज़े बयाँ या भाषा के साथ उसका बर्ताव अलग-अलग रूप में अभिव्यक्ति पाता है। इस बात को ध्यान रखते हुए नीचे दी गई कविताओं को पढ़िए और दी गई फ़िराक की गज़ल-रुबाई में से समानार्थी पंक्तियाँ ढूँढ़िए।
(क) मैया मैं तो चंद्र खिलौनो लैहों।
–सूरदास
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(ख) वियोगी होगा पहला कवि
आह से उपजा होगा गान
उमड़ कर आँखों से चुपचाप बही होगी कविता अनजान
–सुमित्रानंदन पंत
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(ग) सीस उतारे भुईं धरे तब मिलिहैं करतार
–कबीर
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[0.0109] फ़िराक गोरखपुरी : रुबाइयाँ, गज़ल
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छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित है?
[0.011000000000000001] उमाशंकर जोशी : छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख
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रचना के संदर्भ में अंधड़ और बीज क्या हैं?
[0.011000000000000001] उमाशंकर जोशी : छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख
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‘रस का अक्षयपात्र’ से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की और इंगित किया है?
[0.011000000000000001] उमाशंकर जोशी : छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख
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व्याख्या करें-
शब्द के अंकुर फूटे,
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
[0.011000000000000001] उमाशंकर जोशी : छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख
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व्याख्या करें-
रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।
[0.011000000000000001] उमाशंकर जोशी : छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख
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जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप हो, रूपक कहलाता है। इस कविता में से रूपक का चुनाव करें।
[0.011000000000000001] उमाशंकर जोशी : छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख
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भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा?
[0.0111] महादेवी वर्मा : भक्तिन
Chapter: [0.0111] महादेवी वर्मा : भक्तिन
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दो कन्या-रत्न पैदा करने पर भक्ति पुत्र-महिमा में अँधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चली है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है। क्या इससे आप सहमत हैं?
[0.0111] महादेवी वर्मा : भक्तिन
Chapter: [0.0111] महादेवी वर्मा : भक्तिन
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