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Science (English Medium) इयत्ता १२ - CBSE Important Questions for Hindi (Elective)

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Hindi (Elective)
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अच्छे फीचर की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

Appears in 5 question papers
Chapter: [0.032] पत्रकारीय लेखन के विभिन्न रूप और लेखन प्रक्रिया
Concept: पत्रकारीय लेखन के विभिन्न रूप और लेखन प्रक्रिया

बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में क्या अंतर है? स्पष्ट कीजिए।

Appears in 3 question papers
Chapter: [0.033] विशेष लेखन-स्वरुप और प्रकार
Concept: विशेष लेखन-स्वरुप और प्रकार

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए -

समाचार माध्यमों में प्रिंट माध्यम की विशेषताएँ लिखिए।

Appears in 2 question papers
Chapter: [0.031] विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन
Concept: विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन

अभिलाषाओं की राख से तात्पर्य है -

Appears in 1 question paper
Chapter: [0.01] सूरदास की झोंपड़ी
Concept: सूरदास की झोंपड़ी

सूरदास कहाँ तो नैराश्य, ग्लानि, चिंता और क्षोभ के अपार जल में गोते खा रहा था, कहाँ यह चेतावनी सुनते ही उसे ऐसा मालूम हुआ किसी ने उसका हाथ पकड़कर किनारे पर खड़ा कर दिया।

नकारात्मक मानवीय पहलुओं पर अकेले सूरदास का व्यक्तित्व भारी पड़ गया। जीवन मूल्यों की दृष्टि से इस कथन पर विचार कीजिए।

Appears in 1 question paper
Chapter: [0.01] सूरदास की झोंपड़ी
Concept: सूरदास की झोंपड़ी

'तो हम सौ लाख बार बनाएंगे' इस कथन के संदर्भ में सूरदास के चरित्र की विशेषता है -

Appears in 1 question paper
Chapter: [0.01] सूरदास की झोंपड़ी
Concept: सूरदास की झोंपड़ी

'अभिलाषाओं की राख है' से क्या अभिप्राय है?

Appears in 1 question paper
Chapter: [0.01] सूरदास की झोंपड़ी
Concept: सूरदास की झोंपड़ी

कथन (A) - जीवन के मर्म का ज्ञान ही दुखों से मुक्ति है।

कारण (R) - सूरदास विजय गर्व की तरंग में राख के ढेर को दोनों हाथों से उड़ाने लगा।

Appears in 1 question paper
Chapter: [0.01] सूरदास की झोंपड़ी
Concept: सूरदास की झोंपड़ी

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए -

"सच्चे खिलाड़ी कभी रोते नहीं, बाजी पर बाजी हारते हैं, चोट पर चोट खाते हैं, धक्के सहते हैं पर मैदान में डटे रहते हैं।" परीक्षा के समय को आधार मानकर 'सूरदास की झोंपड़ी' पाठ क्या संदेश देता है?

Appears in 1 question paper
Chapter: [0.01] सूरदास की झोंपड़ी
Concept: सूरदास की झोंपड़ी

'जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा'- पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

Appears in 1 question paper
Chapter: [0.0101] जयशंकर प्रसाद : (क) देवसेना का गीत, (ख) कार्नेलिया का गीत
Concept: कार्नेलिया का गीत

निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

लघु सुरधनु से पंख पसारे-शीतल मलय समीर सहारे।

उड़ते खग जिस ओर मुँह किए-समझ नीड़ निज प्यारा।

बरसाती आँखों के बादल-बनते जहाँ भरे करुणा जल।

लहरें टकराती अनंत की-पाकर जहाँ किनारा।

हेम कुंभ ले उषा सवेरे-भरती ढुलकाती सुख मेरे।

मदिर ऊँघते रहते जब-जगकर रजनी भर तारा।

Appears in 1 question paper
Chapter: [0.0101] जयशंकर प्रसाद : (क) देवसेना का गीत, (ख) कार्नेलिया का गीत
Concept: कार्नेलिया का गीत

निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए - 

भर जलद धरा को ज्यों अपार;
वे ही सुख-दुख में रहे न्यस्त,
तेरे हित सदा समस्त व्यस्त;
वह लता वहीं की, जहाँ कली
तू खिली, स्नेह से हिली, पली,
अंत भी उसी गोद में शरण
ली, मूँदे दृग वर महामरण!

मुझ भाग्यहीन की तू संबल
युग वर्ष बाद जब हुई विकल,
दुख ही जीवन की कथा रही
क्या कहूँ आज, जो नहीं कही!
हो इसी कर्म पर वज्रपात 
यदि धर्म, रहे नत सदा माथ।

(1) ‘भर जलद धरा को ज्यों अपार’ पंक्ति द्वारा प्रतिपादित किया गया है - (1)

(क) वैमनस्य
(ख) अनुभव
(ग) स्नेह
(घ) प्रकाश

(2) कवि स्वयं को भाग्यहीन कहकर क्या सिद्ध करना चाहते हैं? (1)

(क) मनचाही प्रसिद्धि न मिलना
(ख) सरोज की आर्थिक दशा
(ग) सरोज ही एकमात्र सहारा
(घ) पारिवारिक सदस्यों से बिछोह

(3) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए - (1)

  1. कवि सरोज को शकुंतला के समान मानते थे।
  2. पुत्री सरोज की मृत्यु असमय हो गई थी।
  3. सरोज की मृत्यु अपनी ससुराल में हुई थी।

इन कथनों में से कौन-सा/कौन-से कथन सही है/हैं -

(क) केवल (i)
(ख) (ii) और (iii)
(ग) केवल (ii)
(घ) (ii) और (iii)

(4) ‘हो इसी कर्म पर वज्रपात’ के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि वह - (1)

(क) कष्टदायक जीवन के बाद धार्मिक बन रहे हैं।
(ख) मस्तक पर वज्रपात सहने का साहस कर रहे हैं।
(ग) समस्त जीवन दुख में ही व्यतीत करते रहे हैं।
(घ) प्रतिकूलताओं के आगे आत्मसमर्पण कर रहे हैं।

(5) दुख ही जीवन की कथा रही के माध्यम से प्रकट हो रही है - (1)

(क) शैशवावस्था
(ख) वृदूधावस्था
(ग) वियोगावस्था
(घ) विश्लेषणावस्था

(6) ‘क्या कहूँ आज, जो नहीं कही!’
पंक्ति के माध्यम से कवि की स्वाभाविक विशेषता बताने के लिए सूक्ति कहीं जा सकती है - (1)

(क) पर उपदेश कुशल बहुतेरे
(ख) बिथा मन ही राखो गोय
(ग) मुझसे बुरा न कोय
(घ) मन के हारे हार है

Appears in 1 question paper
Chapter: [0.0102] सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' : (क) गीत गाने दो मुझे, (ख) सरोज स्मृति
Concept: सरोज स्मृति

‘मैंने देखा, एक बूँद’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।

Appears in 1 question paper
Chapter: [0.0103] सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' : (क) यह दीप अकेला, (ख) मैंने देखा, एक बूँद
Concept: मैंने देखा, एक बूँद

निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए -

जो है वह खड़ा है
बिना किसी स्तंभ के
जो नहीं है उसे थामे है
राख और रौशनी के ऊँचे ऊँचे स्तंभ
आग के स्तंभ
और पानी के स्तंभ
धूएँ के
खुशबू के
आदमी के उठे हुए हाथों के स्तंभ

किसी अलक्षित सूर्य को
देता हुआ अर्घ्य
शताब्दियों से इसी तरह
गंगा के जल में
अपनी एक टांग पर खड़ा है यह शहर
अपनी दूसरी टांग से
बिल्कुल बेखबर!

(क) जो है वह खडा है बिना किसी स्तंभ के.......' वह जो बिना सहारे के खड़ी है -   (1)

  1. दार्शनिकता
  2. आध्यात्मिकता
  3. धुएं की विशालता
  4. पानी की पवित्रता

(ख) 'अपनी दूसरी टांग से बिल्कुल बेखबर' पंक्ति का आशय है कि -  (1)

  1. अध्यात्मिकता से अनभिज्ञ होना
  2. आधुनिकता से अनभिज्ञ होना
  3. सांसारिकता से अनभिज्ञ होना
  4. दार्शनिकता से अनभिज्ञ होना

(ग) राख के स्तंभ से क्या अभिप्राय है?   (1)

  1. पूजा-पाठ की सामग्री के ढेर से
  2. शवों के राख के ढेर से
  3. मिट्टी के ढेर से
  4. मुरझाए फूलों के ढेर से

(घ) आस्था, विरक्ति, विश्वास, आश्चर्य और भक्ति का मिला-जुला रूप दिखाई देता है -    (1)

  1. श्रद्धा और अंधभक्ति में
  2. मोक्ष की अवधारणा में
  3. मिथकीय आस्था में
  4. बनारस की आध्यात्मिकता में

(ङ) मनुष्य के हाथ स्तंभ की भांति खड़े हो जाते हैं -    (1)

  1. मंदिर की ध्वजा को प्रमाण करने के लिए
  2. अदृश्य को अर्घ्य देने के लिए
  3. किसी की मदद के लिए
  4. श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए
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Chapter: [0.0104] केदारनाथ सिंह : (क) बनारस, (ख) दिशा
Concept: बनारस

‘तोड़ो’ कविता नवसृजन की प्रेरणा है। कथन के आलोक में अपने विचार प्रकट कीजिए।

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Chapter: [0.0106] रघुवीर सहाय : (क) वसंत आया, (ख) तोड़ो
Concept: तोड़ो

निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -

ये पत्थर ये चट्टानें
ये झूठे बंधन टूटें
तो धरती का हम जानें
सुनते हैं मिट्टी में रस है जिससे उगती दूब है
अपने मन के मैदानों पर व्यापी कैसी ऊब है
आधे आधे गाने

तोड़ो तोड़ो तोड़ो
ये ऊसर बंजर तोड़ो
ये चरती परती तोड़ो
सब खेत बनाकर छोड़ो
मिट्टी में रस होगा ही जब वह पोसेगी बीज को
हम इसको क्या कर डालें इस अपने मन की खीज को?
गोड़ो गोड़ो गोड़ो

Appears in 1 question paper
Chapter: [0.0106] रघुवीर सहाय : (क) वसंत आया, (ख) तोड़ो
Concept: तोड़ो

निम्नलिखित पंक्तियों में निहित काव्य सौंदर्य लिखिए।

पुलकि सरीर सभाँ भए ठाढ़े।

नीरज नयन नेह जल बाढ़े॥

कहब मोर मुनिनाथ निबाहा।

एहि ते अधिक कहौं मैं काहा॥

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Chapter: [0.010700000000000001] तुलसीदास : (क) भरत-राम का प्रेम, (ख) पद
Concept: भरत-राम का प्रेम

वियोगावस्था में सुख देने वाली वस्तुएँ भी दुख देने लगती हैं। 'गीतावली' से संकलित पदों के आधार पर सिद्ध कीजिए।

Appears in 1 question paper
Chapter: [0.010700000000000001] तुलसीदास : (क) भरत-राम का प्रेम, (ख) पद
Concept: भरत-राम का प्रेम

निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

महीं सकल अनरथ कर मूला। सो सुनि समुझि सहिउँ सब सूला॥
सुनि बन गवनु कीन्ह रघुनाथा। करि मुनि बेष लखन सिय साथा॥
बिन पानहिन्ह पयादेहि पाएँ। संकरु साखि रहेउँ ऐहि घाएँ॥
बहुरि निहारि निषाद सनेहू। कुलिस कठिन उर भयउ न बेहू॥
अब सबु आँखिन्ह देखेउँ आई। जिअत जीव जड़ सबइ सहाई॥
जिन्हहि निरखि मग साँपिनि बीछी। तजहिं बिषम बिषु तापस तीछी॥

Appears in 1 question paper
Chapter: [0.010700000000000001] तुलसीदास : (क) भरत-राम का प्रेम, (ख) पद
Concept: भरत-राम का प्रेम

निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -

पुलकि सरीर सभाँ भए ठाढ़े। नीरज नयन नेह जल बाढ़े॥
कहब मोर मुनिनाथ निबाहा। एहि तें अधिक कहौं मैं काहा॥
मैं जानउँ निज नाथ सुभाऊ। अपराधिहु पर कोह न काऊ॥
मो पर कृपा सनेहू बिसेखी। खेलत खुनिस न कबहूँ देखी॥
Appears in 1 question paper
Chapter: [0.010700000000000001] तुलसीदास : (क) भरत-राम का प्रेम, (ख) पद
Concept: भरत-राम का प्रेम
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