English

बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए कवयित्री क्या आवश्यक मानती है? - Hindi Course - A

Advertisements
Advertisements

Question

बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए कवयित्री क्या आवश्यक मानती है?

Short Note

Solution

बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए कवयित्री का मानना है कि मनुष्य को भोग लिप्ता से आवश्यक दूरी बनाकर भोग और त्याग के बीच का मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए। उसे संयम रखते हुए भोग और त्याग में समान भाव रखना चाहिए।

shaalaa.com
पद्य (Poetry) (Class 9 A)
  Is there an error in this question or solution?
Chapter 10: वाख - अतिरिक्त प्रश्न

APPEARS IN

NCERT Hindi - Kshitij Part 1 Class 9
Chapter 10 वाख
अतिरिक्त प्रश्न | Q 5

RELATED QUESTIONS

भाव स्पष्ट कीजिए -

(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।
(ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अहंकारी।


नाव किसका प्रतीक है? कवयित्री उसे कैसे खींच रही है?


कवयित्री ने अपने व्यर्थ हो रहे प्रयासों की तुलना किससे की है और क्यों?


श्रीकृष्ण की मुसकान का गोपियों पर क्या असर होता है?


‘ब्रज के बन-बाग, तड़ाग निहारौं’ का अशय स्पष्ट करते हुए बताइए कि कवि ने ऐसा क्यों कहा है?


आपके विचार से कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है?


ब्रिटिश राज का गहना किसे कहा गया है और क्यों? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।


कवि के लिए बच्चों का काम पर जाना चिंता का विषय क्यों बन गया है? ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं? कविता के आधार पर लिखिए।


खेतों में खड़ी मटर के सौंदर्य का वर्णन ‘ग्राम श्री’ कविता के आधार पर कीजिए।


‘मेघ आए’ कविता में अतिथि का जो स्वागत-सत्कार हुआ है, उसमें भारतीय संस्कृति की कितनी झलक मिली है, अपने शब्दों में लिखिए।


Share
Notifications

Englishहिंदीमराठी


      Forgot password?
Use app×