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'भूख और गरीबी में प्राय: धैर्य और संयम नहीं टिक पाते हैं।' इसके आलोक में सिद्धेश्वरी के चरित्र पर कक्षा में चर्चा कीजिए। - Hindi (Elective)

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Question

'भूख और गरीबी में प्राय: धैर्य और संयम नहीं टिक पाते हैं।' इसके आलोक में सिद्धेश्वरी के चरित्र पर कक्षा में चर्चा कीजिए।

Answer in Brief

Solution

ऐसा देखा गया है कि भूख और गरीबी में प्रायः धैर्य और संयम नहीं टिक पाते हैं। सिद्धेश्वरी भी भयंकर गरीबी का सामना कर रही थी। वह इसका सामना अकेली नहीं कर रही थी। उस पर तीन बेटों और परिवार की ज़िम्मेदारी थी। यदि वह अपना धैर्य और संयम छोड़ देती है, तो परिवार का सर्वनाश होना निश्चित था। अतः वह दृढ़ता के साथ डटी रहती है। परिवार के किसी सदस्य का धैर्य या संयम हिल न जाए, तो वह झूठ बोलकर सबमें इसे बनाए रखने का प्रयास करती है। इससे पता चलता है कि वह समझदार, दृढ़ व्यक्तित्व, ममतामयी, कुशल गृहणी थी। जो पहले परिवार की सोचती है और बाद में अपना। वह परिवारवालों की भूख का ध्यान अपनी भूख से अधिक रखती है, वह परिवारवालों के मध्य प्रेमभाव को बनाए रखती है। इसके लिए वह झूठ भी बोलती है मगर वह झूठ उसके परिवार की नींव को मज़बूत किए हुए हैं। जब तक वह परिवार में है, उसके परिवार को कोई दुख छू नहीं सकता है। उसका व्यक्तित्व बहुत विशाल है।

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दोपहर का भोजन
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Chapter 1.2: दोपहर का भोजन - प्रश्न-अभ्यास [Page 33]

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NCERT Hindi - Antar Class 11
Chapter 1.2 दोपहर का भोजन
प्रश्न-अभ्यास | Q 2. | Page 33

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सिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मँझले बेटे मोहन के बारे में झूठ क्यों बोला?


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'सिद्धेश्वरी का एक दूसरे सदस्य के विषय में झूठ बोलना परिवार को जोड़ने का अनथक प्रयास था' – इस संबंध में आप अपने विचार लिखिए।


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आशय स्पष्ट कीजिए -

यह कहकर उसने अपने मँझले लड़के की ओर इस तरह देखा, जैसे उसने कोई चोरी की हो।


आशय स्पष्ट कीजिए -

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