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Question
निम्न अवधारणाओं को स्पष्ट कीजिए।
प्राच्यवादी इतिहास लेखन
Short Note
Solution
- अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में यूरोप के अध्ययन वार्ता में पूर्व की संस्कृति और देशों के विषय में उत्सुकता पैदा हुई। उत्सुकता भरे इस भारतीय संस्कृति का अध्ययन करने वाले अध्ययन कर्ताओं को 'प्राच्यवादी' कहते हैं।
- इन प्राच्यवादी अध्ययन कर्ताओं ने भारतीय संस्कृति, इतिहास, यहाँ की विभिन्न भाषाओं तथा धर्मों का अध्ययन करके इतिहास लेखन का कार्य किया। इस लेख को 'प्राच्यवादी इतिहास लेखन' कहते हैं।
- प्राच्यवादी अध्येताओं ने संस्कृत और यूरोपीय भाषाओं की समान धर्म का अध्ययन करके यह निष्कर्ष निकाला कि इन भाषाओं की जननी एक प्राचीन इंडो-यूरोपीय भाषा थी।
- इन प्राच्यवादी अध्ययन कर्ताओं में साम्राज्यवादी प्रवृत्ति छिपी होने के कारण उन्होंने पूर्वाग्रह से ग्रसित दृष्टिकोण से ही भारत के इतिहास का लेखन किया।
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भारतीय इतिहास लेखन : विविध सैद्धांतिक प्रणालियाँ
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