Advertisements
Advertisements
Question
शीतयुद्ध के दौरान भारत की अमरीका और सोवियत संघ के प्रति विदेश निति क्या थी? क्या आप मानते है की इस निति ने भारत के हितों को आगे बढ़ाया?
Long Answer
Solution
भारत ने आरंभ से यह गुटनिरपेक्षता की निति को अपनी विदेश निति का एक आधारभूत तत्व माना और इसी के तहत उसने संयुक्त राज्य अमरीका तथा सोवियत संघ दोनों के साथ ही मित्रता के संबंध बनाए रखने की निति अपनाई। भारत दोनों में से किसी भी सैनिक गठबंधन में शामिल नहीं हुआ और अपने को दोनों से तटस्थ रखा। भारत ने मुद्दों के आधार पर दनो देशो की गतिविधियो की प्रशांत या आलोचना की, किसी गुटबंदी या पक्षपात के आधार पर नहीं। शीतयुद्ध के दौरान भारत द्वारा अपनाई गई तटस्थता की निति के लाभ - भारत द्वारा अपनाई गई तटस्थता की निति ने भारत के हितों को निश्चित रूप से आगे बढ़ाया। निम्लिखित तथ्यों से इस बात की पुष्टि होती है -
- भारत दोनों शक्तियों से मैत्री संबंध रखने के कारण दोनों ही देशों से आर्थिक सहायता प्राप्त कर सका और अपने सामाजिक आर्थिक विकास की ओर ध्यान दे सका।
- दोनों महाशक्तियों से मित्रता होने के कारण उसे शीतलयुद्ध के कारण किसी भी शक्ति संगठन से या उसके किसी सदस्य से किसी शत्रुता तथा आक्रमण की चिंता न रही। युद्ध के भय की चिंता से मुक्त होकर वह अपने सामाजिक - आर्थिक विकास की ओर अधिक ध्यान दे सका।
- भारत अपनी विदेश निति का निर्माण तथा संचालन स्वतंत्रपूर्वक बिना किसी बाह्य दबाव के करना चाहता था। इस उद्देश्य की प्राप्ति किसी सैनिक संगठन गठबंधन में सम्मिलित हुए बिना ही हो सकती थी। यदि वह किसी गुट में सम्मिलित होता तो उसे उसका पिछलग्गू बनना पड़ता और अंतराष्टीय क्षेत्र में स्वतंत्र निर्णय लेने और स्वतंत्रतापूर्वक भागीदारी नहीं कर पाता।
- गुट - निरपेक्षता की निति के कारण भारत दोनों ही गुटों के द्वारा सद्बभावना की दृष्टी से देखा जाने लगा और इसने कई देशो के आपसी विवादों में मध्यस्थ की भूमिका निभाई।
- स्वतंत्रता की प्राप्ति के समय भारत की सामाजिक, आर्थिक, औद्योगिक दशा बड़ी शोचनीय थी और उसे गरीवी, बेरोजगारी, बीमारी, अस्त - व्यस्त अर्थव्यवस्था, भुखमरी, कृषि का पिछड़ापन, उद्योगो की कमी आदि की समस्याओ का सामना करना पड रहा था। इस समय उसकी प्राथमिकता अपने सामाजिक - विकास की थी। इसमें इस निति ने बड़ी सहायता की।
- भारत उस समय एक पिछड़ा हुआ राष्ट था। किसी भी गुट से वह समानता के आधार पर आचरण कारने की स्थिति में न होता बल्कि उस गुट के एक सधारण सदस्य की भूमिका निभाता और उसकी स्थिति गौण ही रहती।
shaalaa.com
शीतयुद्ध का दौर का परिचय
Is there an error in this question or solution?