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Chapters
2: स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता
3: विद्युत धारा
4: गतिमान आवेश और चुंबकत्व
5: चुंबकत्व एवं द्रव्य
6: वैद्युतचुंबकीय प्रेरण
▶ 7: प्रत्यावर्ती धारा
8: वैद्युतचुंबकीय तरंगें
9: किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र
10: तरंग-प्रकाशिकी
11: विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति
12: परमाणु
13: नाभिक
14: अर्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी - पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ
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Solutions for Chapter 7: प्रत्यावर्ती धारा
Below listed, you can find solutions for Chapter 7 of CBSE NCERT for Physics [Hindi] Class 12.
NCERT solutions for Physics [Hindi] Class 12 7 प्रत्यावर्ती धारा अभ्यास [Pages 266 - 268]
एक 100 Ω का प्रतिरोधक 200 V, 50 Hz आपूर्ति से संयोजित है।
- परिपथ में धारा का rms मान कितना है?
- एक पूरे चक्र में कितनी नेट शक्ति व्यय होती है?
ac आपूर्ति का शिखर मान 300 V है। rms वोल्टता कितनी है?
ac परिपथ में धारा का rms मान 10 A है। शिखर धारा कितनी है?
एक 44 mH को प्रेरित्र 220 V, 50 Hz आपूर्ति से जोड़ा गया है। परिपथ में धारा के rms मान को ज्ञात कीजिए।
एक 60 µF का संधारित्र 110 V, 60 Hz ac आपूर्ति से जोड़ा गया है। परिपथ में धारा के rms मान को ज्ञात कीजिए।
पिछले प्रश्न 3 और 4 में, एक पूरे चक्र की अवधि में प्रत्येक परिपथ में कितनी नेट शक्ति अवशोषित होती है? अपने उत्तर का विवरण दीजिए।
एक LCR परिपथ की, जिसमें L = 2.0 H, C = 32 µF तथा R = 10 Ω अनुनाद आवृत्ति ωr परिकलित कीजिए। इस परिपथ के लिए Q का क्या मान है?
30 µF का एक आवेशित संधारित्र 27 mH के प्रेरित्र से जोड़ा गया है। परिपथ के मुक्त दोलनों की कोणीय आवृत्ति कितनी है?
कल्पना कीजिए कि प्रश्न 7 में संधारित्र पर प्रारम्भिक आवेश 6 mC है। प्रारम्भ में परिपथ में कुल कितनी ऊर्जा संचित होती है? बाद में कुल ऊर्जा कितनी होगी?
एक श्रेणीबद्ध LCR परिपथ को, जिसमें R = 20 Ω, L = 1.5 H तथा C = 35 µF, एक परिवर्ती आवृत्ति की 200 V ac आपूर्ति से जोड़ा गया है। जब आपूर्ति की आवृत्ति परिपथ की मूल आवृत्ति के बराबर होती है तो एक पूरे चक्र में परिपथ को स्थानांतरित की गई माध्य शक्ति कितनी होगी?
एक रेडियो को MW प्रसारण बैण्ड के एक खण्ड के आवृत्ति परास के एक ओर से दूसरी ओर (800 kHz से 1200 kHz) तक समस्वरित किया जा सकता है। यदि इसके LC परिपथ का प्रभावकारी प्रेरकत्व 200 µH हो तो उसके परिवर्ती संधारित्र की परास कितनी होनी चाहिए?
[संकेत : समस्वरित करने के लिए मूल आवृत्ति अर्थात् LC परिपथ के मुक्त दोलनों की आवृत्ति रेडियो तरंग की आवृत्ति के समान होनी चाहिए]
चित्र में एक श्रेणीबद्ध LCR परिपथ दिखलाया गया है जिसे परिवर्ती आवृत्ति के 230 V के स्रोत से जोड़ा गया है। L = 5.0 H, C = 80 µF, R = 40 Ω
- स्रोत की आवृत्ति निकालिए जो परिपथ में अनुनाद उत्पन्न करे।
- परिपथ की प्रतिबाधा तथा अनुनादी आवृत्ति पर धारा का आयाम निकालिए।
- परिपथ के तीनों अवयवों के सिरों पर विभवपात के rms मानों को निकालिए। दिखलाइए कि अनुनादी आवृत्ति पर LC संयोग के सिरों पर विभवपात शून्य है।
किसी LC परिपथ में 20 mH का एक प्रेरक तथा 50 uF का एक संधारित्र है जिस पर प्रारम्भिक आवेश 10 mC है। परिपथ का प्रतिरोध नगण्य है। मान लीजिए कि वह क्षण जिस पर परिपथ बन्द किया जाता है t = 0 है।
- प्रारम्भ में कुल कितनी ऊर्जा संचित है? क्या यह LC दोलनों की अवधि में संरक्षित है?
- परिपथ की मूल आवृत्ति क्या है?
- किस समय पर संचित ऊर्जा ।
- पूरी तरह से विद्युत है (अर्थात वह संधारित्र में संचित है)?
- पूरी तरह से चुम्बकीय है (अर्थात प्रेरक में संचित है)?
- किन समयों पर सम्पूर्ण ऊर्जा प्रेरक एवं संधारित्र के मध्य समान रूप से विभाजित है?
- यदि एक प्रतिरोधक को परिपथ में लगाया जाए तो कितनी ऊर्जा अन्ततः ऊष्मा के रूप में क्षयित होगी?
एक कुण्डली को जिसका प्रेरण 0.50 H तथा प्रतिरोध 100 Ω है, 240 V व 50 Hz की एक आपूर्ति से जोड़ा गया है।
- कुण्डली में अधिकतम धारा कितनी है?
- वोल्टेज शीर्ष व धारा शीर्ष के बीच समय-पश्चता (time lag) कितनी है?
यदि परिपथ को उच्च आवृत्ति की आपूर्ति (240V, 10 kHz) से जोड़ा जाता है तो प्रश्न 7.13 (a) तथा (b) के उत्तर निकालिए। इससे इस कथन की व्याख्या कीजिए कि अति उच्च आवृत्ति पर किसी परिपथ में प्रेरक लगभग खुले परिपथ के तुल्य होता है। स्थिर अवस्था के पश्चात किसी dc परिपथ में प्रेरक किस प्रकार का व्यवहार करता है?
40 Ω प्रतिरोध के श्रेणीक्रम में एक 100 μF के संधारित्र को 110 V, 60 Hz की आपूर्ति से जोड़ा गया है।
- परिपथ में अधिकतम धारा कितनी है?
- धारा शीर्ष व वोल्टेज शीर्ष के बीच समय-पश्चता कितनी है?
यदि परिपथ को 110 V, 12 kHz आपूर्ति से जोड़ा जाए तो प्रश्न 7.15 (a) व (b) का उत्तर निकालिए। इससे इस कथन की व्याख्या कीजिए कि अति उच्च आवृत्तियों पर एक संधारित्र चालक होता है। इसकी तुलना उस व्यवहार से कीजिए जो किसी dc परिपथ में एक संधारित्र प्रदर्शित करता है।
स्रोत की आवृत्ति को एक श्रेणीबद्ध LCR परिपथ की अनुनासी आवृत्ति के बराबर रखते हु तीन अवयवों L c तथा को समान्तर क्रम में लगाते हैहाल्ल्शाइए कि समान्तर LCR परिपथ में इस आवृत्ति पर कुल धारा न्यूनतम है। इस आवृति के लिए प्रश्न 11 में निर्दिष्ट स्रोत तथा अवयवों के लिए परिपथ की हर शाखा में धारा के rms मान को परिकलित। कीजिए।
एक परिपथ को जिसमें 80 mH का एक प्रेरक तथा 60 µF का संधारित्र श्रेणीक्रम में है, 230V, 50 Hz की आपूर्ति से जोड़ा गया है। परिपथ का प्रतिरोध नगण्य है।
- धारा का आयाम तथा rms मानों को निकालिए।
- हर अवयव के सिरों पर विभवपात के rms मानों को निकालिए।
- प्रेरक में स्थानान्तरित माध्य शक्ति कितनी है?
- संधारित्र में स्थानान्तरित माध्य शक्ति कितनी है?
- परिपथ द्वारा अवशोषित कुल माध्य शक्ति कितनी है?
[‘माध्य में यह समाविष्ट है कि इसे पूरे चक्र के लिए लिया गया है।]
कल्पना कीजिए कि प्रश्न 7.18 में प्रतिरोध 15 Ω है। परिपथ के हर अवयव को स्थानान्तरित माध्य शक्ति तथा सम्पूर्ण अवशोषित शक्ति को परिकलित कीजिए।
एक श्रेणीबद्ध LCR परिपथ को जिसमें L = 0.12 H, C = 480 nF, R = 23 Ω, 230 V परिवर्ती आवृत्ति वाल स्रोत से जोड़ा गया है।
- स्रोत की वह आवृत्ति कितनी है जिस पर धारा आयाम अधिकतम है? इस अधिकतम मान को निकालिए।
- स्रोत की वह आवृत्ति कितनी है जिसके लिए परिपथ द्वारा अवशोषित माध्य शक्ति अधिकतम है?
- स्रोत की किस आवृत्ति के लिए परिपथ को स्थानान्तरित शक्ति अनुनादी आवृत्ति की शक्ति की आधी है?
- दिए गए परिपथ के लिए Q कारक कितना है?
एक श्रेणीबद्ध LCR परिपथ के लिए जिसमें L = 3.0 H, C = 27 µF तथा R = 7.4 Ω अनुनादी आवृत्ति तथा Q कारक निकालिए। परिपथ के अनुनाद की तीक्ष्णता को सुधारने की इच्छा से “अर्ध उच्चिष्ठ पर पूर्ण चौड़ाई” को 2 गुणक द्वारा घटा दिया जाता है। इसके लिए उचित उपाय सुझाइए।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
क्या किसी ac परिपथ में प्रयुक्त तात्क्षणिक वोल्टता परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़े गए अवयवों के सिरों पर तात्क्षणिक वोल्टताओं के बीजगणितीय योग के बराबर होता है? क्या यही बात rms वोल्टताओं में भी लागू होती है?
प्रेरण कुण्डली के प्राथमिक परिपथ में एक संधारित्र का उपयोग करते हैं।
एक प्रयुक्त वोल्टता संकेत एक dc वोल्टता तथा उच्च आवृत्ति के एक ac वोल्टता के अध्यारोपण से निर्मित है। परिपथ एक श्रेणीबद्ध प्रेरक तथा संधारित्र से निर्मित है। दर्शाइए कि dc संकेत C तथा ac संकेत L के सिरे पर प्रकट होगा।
एक लैम्प से श्रेणीक्रम में जुड़ी चोक को एक dc लाइन से जोड़ा गया है। लैम्प तेजी से चमकता है। चोक में लोहे के क्रोड को प्रवेश कराने पर लैम्प की दीप्ति में कोई अन्तर नहीं पड़ता है। यदि एक ac लाइन से लैम्प का संयोजन किया जाए तो तदनुसार प्रेक्षणों की प्रागुक्ति कीजिए।
ac मेंस के साथ कार्य करने वाली फ्लोरोसेंट ट्यूब में प्रयुक्त चोक कुण्डली की आवश्यकता क्यों होती है? चोक कुण्डली के स्थान पर सामान्य प्रतिरोधक का उपयोग क्यों नहीं होता?
एक शक्ति संप्रेषण लाइन अपचायी ट्रांसफॉर्मर में जिसकी प्राथमिक कुण्डली में 4000 फेरे हैं, 2300 वोल्ट पर शक्ति निवेशित करती है। 230V की निर्गत शक्ति प्राप्त करने के लिए द्वितीयक में कितने फेरे होने चाहिए?
एक जल विद्युत शक्ति संयंत्र में जल दाब शीर्ष 300 m की ऊँचाई पर है तथा उपलब्ध जल प्रवाह 100 m3s-1 है। यदि टरबाइन जनित्र की दक्षता 60% हो तो संयंत्र से उपलब्ध विद्युत शक्ति का आकलन कीजिए, g = 9.8 m s-2
440 V पर शक्ति उत्पादन करने वाले किसी विद्युत संयंत्र से 15 km दूर स्थित एक छोटे से कस्बे में 220 V पर 800 kW शक्ति की आवश्यकता है। विद्युत शक्ति ले जाने वाली दोनों तार की लाइनों का प्रतिरोध 0.5 Ω प्रति किलोमीटर है। कस्बे को उप-स्टेशन में लगे 4000 - 220 V अपचायी ट्रांसफॉर्मर से लाइन द्वारा शक्ति पहुँचती है।
- ऊष्मा के रूप में लाइन से होने वाली शक्ति के क्षय का आकलन कीजिए।
- संयंत्र से कितनी शक्ति की आपूर्ति की जानी चाहिए, यदि क्षरण द्वारा शक्ति का क्षय नगण्य है।
- संयंत्र के उच्चायी ट्रांसफॉर्मर की विशेषता बताइए।
प्रश्न 7.25 को पुनः कीजिए। इसमें पहले के ट्रांसफॉर्मर के स्थान पर 40,000 - 220 V का अपचायी ट्रांसफॉर्मर है। [पूर्व की भाँति क्षरण के कारण हानियों को नगण्य मानिए। यद्यपि अब यह सन्निकटन उचित नहीं है, क्योंकि इसमें उच्च वोल्टता पर संप्रेषण होता है] अतः समझाइए कि क्यों उच्च वोल्टता संप्रेषण अधिक वरीय है?
Solutions for 7: प्रत्यावर्ती धारा
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NCERT solutions for Physics [Hindi] Class 12 chapter 7 - प्रत्यावर्ती धारा
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